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ई-किसान गोष्ठी में संतुलित उर्वरक व्यवहार की दी गयी जानकारी, 60 से अधिक किसान जुड़े

Ranchi :  बीएयू प्रसार शिक्षा निदेशालय के तत्वावधान में शुक्रवार को कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके),गढ़वा द्वारा संतुलित उर्वरक व्यवहार पर राज्यस्तरीय ई-किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया. वर्चुअल माध्यम से आयोजित इस कृषक जागरुकता अभियान में प्रदेश के 60 से अधिक किसान जुड़े. मुख्य वक्ता अध्यक्ष (मृदा विभाग), बीएयू ने कहा कि फसलों की खेती में भूमि का स्वास्थ्य प्रबंधन वर्त्तमान समय की सबसे बड़ी मांग है. संतुलित मात्रा में उर्वरकों के प्रयोग से ही खेतों से वर्षो तक अच्छी उपज के साथ भूमि की गुणवत्ता रखी जा सकती है. उर्वरकों का असंतुलित प्रयोग खेतों की मिट्टी के स्वास्थ्य हानिकारक है. उन्होंने मिट्टी जांच के आधार पर संतुलित मात्रा में उर्वरकों, जैविक एवं जीवाणु खादों के प्रयोग पर प्रकाश डाला.

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कई महत्वपूण जानकारी दी

बीएयू के मुख्य वैज्ञानिक (एग्रोनोमी) डॉ एस कर्मकार ने मक्का–गेहूं, सोयाबीन–गेहूं, धान–गेहूं फसल प्रणाली, दलहनी एवं तेलहनी फसलों जैसे – चना, मटर, मसूर, अरहर, मूंग, मूंगफली और सोयाबीन एवं सब्जी फसलों में संतुलित उर्वरक प्रबंधन से बेहतर उपज लेने की तकनीक को बताया. उप क्षेत्र प्रबंधक इफको, रांची चंदन कुमार ने बदलते खेती तकनीक परिवेश में उर्वरकों के महत्त्व एवं उपयोगिता की जानकारी दी. केवीके वैज्ञानिक डॉ सुधीर कुमार झा ने भूमि एवं पर्यावरण को हानि से बचाव में समेकित पोषक तत्व प्रबंधन के अवयवों के योगदान की जानकारी दी. स्वागत भाषण में केवीके प्रधान डॉ अशोक कुमार ने विषय-वस्तु की प्रासंगिकता की जानकारी दी. संचालन और धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुषमा ललित बाखला ने किया. [wpse_comments_template]

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