न्याय नहीं मिला तो सांस्कृतिक कार्यक्रम कर्मी मजबूरन करेंगे कोर्ट का रूख
Ranchi : वरिष्ठ सांस्कृतिक कर्मी पद्मश्री मधु मंसूरी हसमुख ने बताया कि लंबे संघर्ष के बाद सांस्कृतिक रंग कर्मियों को 2013 से सरकारी पहल पर राशि मिलनी शुरू हुई. उन्होंने बताया कि 1960 से जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं में सांस्कृतिक कार्यक्रम करते आ रहे हैं. हमारे सांस्कृत कार्यक्रम में 150 से अधिक कर्मी हैं. हमारे एक कार्यक्रम में कम से कम 7 से 8 लाख रुपये का खर्च आता है. उसमें से हमें 2 से पौने दो लाख की राशि दी जाती है. इस राशि से पूरा कर पाना काफी कठिन होता है. किंतु अब तो राशि ही नहीं मिल रही है. वह बुधवार को कचहरी स्थित राज रेसिडेंसी होटल में पत्रकारों से रुबरू होते हुए बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से वर्ष 2018 तक हमने जो सांस्कृतिक कार्यक्रम किये हैं. उसमें 8 लाख का खर्च आया. उसका बिल खेल एवं कल्याण मंत्री को दिया है. वहीं वर्ष 22 का संस्कृतिक कार्यक्रम बड़े रूप में किया गया था.
इस कार्यक्रम में 150 से अधिक रंगमंच के कर्मियों ने अपनी कला को प्रदर्शित किया था. इसमें कुल 7 लाख 37 हजार 874 रुपये खर्च हुए थे. इसका भी बिल बना कर खेल मंत्री को दे दिया गया है. उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से राशि भेज दी गई है. इसकी जानकारी रांची डीसी को ज्ञापन के माध्यम से दिया. मुख्य सचिव को भी इस संबंध में पत्र दिया. उन्होंने मांडर बीडीओ से इसकी जानकारी मांगी. किंतु अब तक राशि नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि ऐसे भी रांची के कलाकारों को सरकार की ओर से बहुत कम राशि दी जाती है. इसे बढ़ाने की मांग की है. लेकिन विभाग से भेजी गई राशि अब तक हम लोगों को नहीं मिली है. इससे काफी परेशानी होती है. उन्होंने कहा कि साउंड बॉक्स, टेंट, होटल, जनरेटर, कलाकारों के कपड़े आदि सभी का बकाया है. लोग कर्ज के लिये कार्य परेशान कर रहे हैं. कलाकारों को अपने पास से 8-8 हजार रुपये दिया हूं. अब मेरे भी हाथ खाली हो गये हैं. उन्होंने कहा कि हम सांस्कृतिक कर्मियों को कार्यक्रम की राशि नहीं मिली तो न्याय के लिये कोर्ट का रुख करेंगे.
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