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मासूम बच्ची ने रखा रोजा, मांगी कोरोना से देश-दुनिया की मुक्ति

Ranchi: तपती धूप और पहाड़ जैसे दिन और दोनों पर कोरोना का कहर मानो समूचे रांची को अपने चपेट में लिया हो. बस मासूम बच्ची के इस त्याग से वबा (महामारी) दूर हो जाए तो समझिए कि इसका रोजा सार्थक साबित हुआ.

यह कहना है नन्ही रोजेदार इफरा नौशीन के वालिद इमरान राही का. इमरान की बेटी इफरा नौशीन महज साढ़े पांच साल की है, जिसने इस पवित्र महीने पर उपवास (रोजा) कर अपने धैर्य और संयम का उदाहरण दिया है. रांची के सदर अस्पताल के ब्लड बैंक में लैब टेक्नीशियन का काम करने वाले इमरान राही कहते हैं, “मैं और मेरी पत्नी ने इफरा को मना किया, उसे समझाया कि तुम्हारी तबियत बिगड़ जाएगी. लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी.

इफरा ने रमजान से पहले ठान लिया था कि वो इस साल रोजा रखेगी और उसने पहले रमजान को जिंदगी का अपना पहला रोजा रखा. हम इसके रोजे को कोरोना वबा से निजात दिलाने के लिए दुआ के तौर पर देश के लिए समर्पण करते हैं. आज पूरी दुनिया कोरोना से तबाह है. मैंने रांची के सदर अस्पताल में काम करते हुए इस तबाही का मंजर बहुत नजदीक से देखा है. इसलिए अल्लाह से दुआ करता हूं कि मेरी मासूम बच्ची का रोजा कोरोना के वबा को दूर करने लिए कबूल करें.

इधर मौत का मंजर, उधर बच्ची में लगा मन

इमरान राही ने बताया कि बुधवार (14 अप्रैल) उनका मन दिन भर अपनी बच्ची में लगा रहा. चूंकी वो बहुत छोटी है. इस गर्मी में उसने रोजा रखा. इसलिए हमलोगों की हर समय उसपर नजर थी कि कहीं उसकी तबियत बिगड़ ना जाए. मैं चाह कर भी घर पर नहीं रह सकता था. क्योंकि कोरोना काल में अस्पताल की ड्यूटी और जिम्मेदारी दोनों दोहरी हो जाती है.

बुधवार को सदर अस्पताल में दिन भर मौत का मंजर रहा और उधर मेरा मन बच्ची में लगा रहा. अल्लाह का शुक्र है कि पूरे परिवार ने एक साथ इफ्तार किया. देश से कोरोना महामारी के खात्मे के लिए दुआएं की. इमरान राही ने बताया कि उनकी बच्ची के लिए खास तरह के इफ्तार बनाए गए थे. इफरा के कहने पर पिज्जा और केक भी मांगाया गया था. इफरा आज (15 अप्रैल) भी रोजा है.

क्या है रोजा

इस्लाम धर्म के मानने वाले हर बालिग शख्स पर पर रोजा फर्ज जरूरी है. रमजान के इस पवित्र महीने में मुसलमान लोग रोजा रखते हैं. इस दौरान सूरज निकलने से लेकर सूर्यास्त तक कुछ भी खाया-पिया नहीं जाता है. रमजान रहमतों और बरकतों का महीना है. इसीलिए हर मुस्लिम इस पूरे महीने में अल्लाह की इबादत करता है और चैरिटी (दान) सहित तमाम नेक काम करता है.

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