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कोरोना की तीसरी लहर को लेकर बुद्धिजीवी चिंतित, विपक्ष को लिखा पत्र, कहा, सरकार सलाह मानने को तैयार नहीं, दबाव डालें

 
NewDelhi : देश में कोरोना महामारी की तीसरी लहर को लेकर इतिहासकार रोमिला थापर और इरफान हबीब, अर्थशास्त्री कौशिक बसु समेत 185 से ज्यादा बुद्धिजीवियों द्वारा विपक्षी पार्टियों को खुला पत्र लिखे जाने की खबर आयी है. जानकारी के अनुसार इस पत्र में इन बुद्धिजीवियों ने विपक्षी दलों से अपील की है कि वे अपने प्रभाव का इस्तेमाल यह सुनिश्चित करने में करें कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार महामारी की तीसरे लहर से निपटने के लिए तैयारी रखे.

पत्र में कहा गया है कि केंद्र सरकार के साथ सहयोग करने और मिलकर काम करने की पेशकश के बाद भी भारत सरकार ने न तो सलाहों का स्वागत किया और न ही वास्तव में एक ऐसा कार्य बल तैयार किया, जिसमें सभी पार्टियों, राज्य सरकारों, विशेषज्ञों और सिविल सोसाइटी के लोग साथ होकर इस संकट से निपटें.

शवों के नदियों में तैरने का जिक्र

पत्र में कहा गया है कि लाखों भारतीय बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं जैसे अस्पताल के बिस्तर, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन, आवश्यक दवाएं, एम्बुलेंस आदि का उपयोग करने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं. पत्र में दूसरी लहर के दौरान सड़क पर मृतकों और नदियों में शवों के तैरने का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इन घटनाओं की तस्वीरों ने दुनिया के मन को झकझोर दिया है. उन्होंने कहा कि यह देखना सुखद है कि महामारी के बीच ज्यादातर पार्टियां लोगों के हित में दल की सीमा से परे जाकर काम करने को इच्छुक हैं.

 हस्ताक्षर करने वालों में जाने माने लोग हैं शामिल

 पत्र पर हस्ताक्षर करनेवालों में मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित और कार्यकर्ता विजवाड़ा विल्सन, एमनेस्टी इंटरनेशनल के पूर्व महासचिव सलिल शेट्टी, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव थोराट, यूपीएससी के पूर्व सदस्य पुरुषोत्तम अग्रवाल और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ सियेना (इटली), यूनिवर्सिटी ऑफ साउ पाउलो, यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के शिक्षक शामिल हैं.

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