Ranchi : डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय (डीएसपीएमयू), रांची में आज व्यावहारिक वेदांत एवं मूल्यों के विज्ञान विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन कुलगीत और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ. गणपति वंदना की प्रस्तुति गणेश पाठक ने की. दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ आभा झा ने स्वागत भाषण एवं विषय प्रवेश कराया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ. तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि वेदांत केवल आध्यात्मिक या दार्शनिक विचार नहीं है, बल्कि यह जीवन को सरल, सुंदर और सार्थक बनाने की पद्धति है. उन्होंने यह घोषणा भी की कि शीघ्र ही डीएसपीएमयू में भारतीय ज्ञान प्रणाली केंद्र की स्थापना की जाएगी, जिससे भारतीय ज्ञान परंपराओं का अध्ययन और प्रसार संभव हो सकेगा.
मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. अशोक भगत ने वेदांत की व्याख्या करते हुए कहा कि सभी जीवों का एक साथ होना ही वेदांत है. उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के संतुलित उपयोग पर बल देते हुए वेदांत के मूल तत्वों को सरल उदाहरणों के माध्यम से समझाया.
विशिष्ट वक्ता डॉ. आर.के. राय ने कहा, "Religion is Realisation" और यह कि मानवता ही सर्वोच्च गुण है. उन्होंने कहा कि जीवन को दीर्घ करने में दवाइयां मदद करती हैं, परंतु जीवन में गहराई केवल वेदांत से ही आती है.
रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा ने विद्यार्थियों से अपील की कि वे प्रतिदिन 15–20 मिनट वेद, उपनिषद जैसे ग्रंथों का अध्ययन करें.
सरला बिरला विश्वविद्यालय के महानिदेशक डॉ. गोपाल पाठक ने वेदांत और महाभारत के प्रसंगों को जोड़ते हुए भगवान कृष्ण के संवादों के माध्यम से वेदांत के व्यावहारिक ज्ञान को उजागर किया.
झारखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. टी.एन. साहू ने कहा कि सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में वेदांत का चिंतन असीमित है.
इस अवसर पर साईं नाथ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.पी. अग्रवाल और डीएसपीएमयू के पूर्व कुलपति डॉ. यू.सी. मेहता ने भी अपने विचार साझा किए.
कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के प्राध्यापक मनीष मिश्रा ने किया और धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम की समन्वयक एवं ईएलएल विभाग की डॉ. पीयूषबाला ने किया.