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सीयूजे में ऊर्जा संसाधनों, भंडारण व वितरण के लिए नीति एकीकरण विषय पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार

Ranchi : केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड (सीयूजे) के ऊर्जा अभियंत्रण विभाग ने नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों, रूपांतरण, भंडारण एवं वितरण के लिए नीति एकीकरण विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी-सह-पैनल चर्चा का आयोजन किया. यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के शैक्षणिक भवन स्थित सभागार में संपन्न हुआ जिसमें भारत और विदेश से कई प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने भाग लिया.

 

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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो रोड्रिगो पाल्मा बेहन्के (यूनिवर्सिटी ऑफ चिली, सैंटियागो) रहे जिन्होंने भारत और चिली की नवीकरणीय ऊर्जा रूपरेखाओं की तुलना करते हुए सौर ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन और माइक्रोग्रिड पर विस्तृत चर्चा की. उन्होंने विशेष रूप से चिली की बाइफेशियल सौर प्रौद्योगिकी और सिंगल-एक्सिस ट्रैकिंग जैसी तकनीकों को भारत में अपनाए जाने की संभावना पर जोर दिया.

 

सीयूजे के कुलपति प्रो क्षिति भूषण दास ने उद्घाटन सत्र में कहा विश्वविद्यालय सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को लेकर पूर्णतः प्रतिबद्ध है. सौर ऊर्जा संयंत्र, बायोगैस प्लांट और जल संचयन जैसे हरित प्रयासों के माध्यम से हम स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में निरंतर अग्रसर हैं. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के साथ विश्वविद्यालय की साझेदारी का भी उल्लेख किया.

 

आईआईआईटी रांची के निदेशक प्रो राजीव श्रीवास्तव ने स्मार्ट ग्रिड, एआई आधारित पूर्वानुमान और ऊर्जा भंडारण पर अपनी बात रखते हुए सामाजिक रूप से अनुकूल तकनीकी नीतियों की आवश्यकता पर बल दिया. वहीं जेयूटी रांची के कुलपति प्रो डीके सिंह ने भारत में एसी से डीसी प्रणाली में रूपांतरण की आवश्यकता जताई और झारखंड को ऊर्जा-समृद्ध राज्य बनाने के लिए नीति-निर्माण की वकालत की.

 

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और अतिथियों के स्वागत के साथ हुई. प्रो एसके समदर्शी (विभागाध्यक्ष, ऊर्जा अभियंत्रण) ने स्वागत भाषण में विश्वविद्यालय की अनुसंधान प्रतिबद्धता को रेखांकित किया.

 

इसके बाद आयोजित पैनल चर्चा में प्रो नितिन सिंह (आईआईएम रांची), प्रो अतुल सगड़े (चिली) और श्री रामपति कुमार (सीईईडी) समेत अन्य विशेषज्ञों ने भाग लिया. चर्चा में नीति खामियों, निवेश मानदंड (NPV, ROI), विकेंद्रीकरण, जलवायु-लचीले मॉडल तथा ऊर्जा भंडारण के तकनीकी व आर्थिक पहलुओं पर विचार साझा किए गए.

 

रामपति कुमार ने झारखंड की कोयला निर्भरता की चुनौती रेखांकित करते हुए राज्य सरकार की सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन टास्क फोर्स के साथ मिलकर किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी.  हरित हाइड्रोजन और विभिन्न जिलों की संभावनाओं पर आधारित रिपोर्टों की अंतर्दृष्टियां भी साझा कीं.

 

कार्यक्रम का समापन डॉ सचिन कुमार (संयोजक) के आभार ज्ञापन के साथ हुआ. संगोष्ठी ने यह स्पष्ट कर दिया कि सीयूजे स्वच्छ ऊर्जा पर आधारित टिकाऊ भविष्य के निर्माण में न केवल भागीदार है बल्कि नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभाने को तैयार है.

 

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