Koderma : केटीपीएस पावर प्लांट में चार लोगों की मौत के मामले में जांच शुरू कर दी गयी है. जांच के दौरान लापरवाही की बात समाने आयी है. जिले के बांझेडीह स्थित कोडरमा थर्मल पावर स्टेशन में गुरुवार को हुए हादसे में मारे गए चार लोगों जिनमें अधिकारी और इंजीनियर शामिल है के शवों का शुक्रवार को सदर अस्पताल में अंत्यपरीक्षण कर उनके परिजनों को सौंप दिया गया. मृतकों में प्लांट में चिमनी का काम कर रही श्री विजया कंपनी के प्रोजेक्ट हेड नागपुर, महाराष्ट्र निवासी कृष्ण प्रसाद कोडाली (42, पिता नंदकुमार), रायचूर (कर्नाटक) निवासी इंजीनियर कार्तिक सागर (30, पिता रमुल्लाह), गया (बिहार) निवासी सेफ्टी ऑफिसर नवीन कुमार (30, पिता रघुनंदन सिंह) और कंपनी के एमडी 50 वर्षीय डॉ. विनोद कुमार चौधरी शामिल हैं. इसे भी पढ़ें -
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तय मानकों के अनुसार प्लांट में सुरक्षा नियमों की अवहेलना
इधर घटना को लेकर जांच शुरू की गयी है. डीवीसी के वरीय अधिकारियों के अलावा प्रशासनिक अधिकारी भी इस बड़ी घटना के कारणों की जांच में जुट गए हैं. जो बात सामने आ रही हैं वह केटीपीपी में बड़े चूक की ओर इशारा कर रही है. एक अधिकारी ने ही बताया कि तय मानकों के अनुसार प्लांट में सुरक्षा नियमों की अवहेलना तो होती ही है, कार्यरत लोगों के बचाव को लेकर समुचित व्यवस्था भी नहीं है. घटना के बाद राहत कार्य भी उसी तरह चलाया जाता है. डीवीसी द्वारा संचालित इस बड़े प्लांट में घायल लोगों के समुचित इलाज की भी व्यवस्था नहीं है, यही वजह है कि कोई भी बड़ी घटना होने पर सदर अस्पताल या अन्य बड़े अस्पताल का रुख करना पड़ता है. केटीपीपी में हादसे के बाद चिमनी के ऊपर फंसे मजदूरों को रेस्क्यू कर सुरक्षित उतार लिया गया है. प्लांट में कार्यरत सीआइएसएफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) के जवानों ने इन्हें रेस्क्यू कर उतारा. प्लांट के सुरक्षा अधिकारी आरआर सिन्हा के अनुसार चिमनी के ऊपर 19 मजदूर फंसे थे, जिन्हें रेस्क्यू कर उतारा गया. इसे भी पढ़ें -
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तीन अस्थायी लिफ्ट तैयार किये गये
जानकारी के अनुसार निर्माणाधीन चिमनी पर चढ़ने-उतरने के लिए तीन अस्थायी लिफ्ट तैयार किये गये. एक पैसेंजर लिफ्ट, एक ट्राली वाली विंग्स और एक लिफ्ट से निर्माण के लिए मैटीरियल ऊपर ले जायी जाती थी. इसी लिफ्ट में ट्रॉली लगाकर सभी मजदूरों को उतारा गया है. प्लांट में 150 मीटर ऊंची एक उक्त चिमनी केंद्रीय पॉल्यूशन बोर्ड के निर्देश पर तैयार की जा रही थी. अधिकारियों के अनुसार इससे कोयले के धुएं में से सल्फर व अन्य हानिकारक गैस को पूरी तरह अवशोषित कर फ्रेश धुआं वातावरण में छोड़ी जाएगी. पूर्व से धुआं निकालने के लिए निर्मित चिमनी 275 मीटर ऊंची है. [wpse_comments_template]
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