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ईरान-चीन की दोस्ती, भारत फरजाद बी गैस परियोजना से बाहर, अरबों डॉलर का झटका

 
 NewDelhi : अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच चीन के साथ दोस्ती बढ़ा रहे ईरान ने भारत को अरबों डॉलर का झटका दिया है.  ईरान ने भारत को फरजाद बी गैस परियोजना से बाहर कर दिया है. बता दें कि इस गैस फील्ड की खोज भारत की ओएनजीसी विदेश लिमिटेड ने की थी. ईरान ने अब इस गैस फील्ड को खुद ही विकसित करने का फैसला किया है. इससे पहले ईरान ने चाबहार रेलवे लिंक परियोजना के लिए भारत के 2 अरब डॉलर के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.

विश्लेषकों की मानें तो इस डील से भारत को झटका लग सकता है. भारत ने ईरान के बंदरगाह चाबहार के विकास पर अरबों रुपये खर्च किये हैं.  अमेरिका के दबाव की वजह से ईरान के साथ भारत के रिश्ते नाजुक दौर में हैं. चाबहार व्यापारिक के साथ-साथ रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण है.

चीन की ईरान में उपस्थिति से भारतीय निवेश के लिए संकट

यह चीन की मदद से विकसित किये गये पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से महज 100 किलोमीटर दूर है. भारत को भी अमेरिका, सऊदी अरब, इजरायल बनाम ईरान में से किसी एक देश को चुनना पड़ सकता है. एक वक्त था जब ईरान भारत का मुख्य तेल आपूर्तिकर्ता था, लेकिन अमेरिका के दबावों की वजह से नयी दिल्ली को तेहरान से तेल आयात को लगभग खत्म करना पड़ा.  चीन की ईरान में उपस्थिति से भारतीय निवेश के लिए संकट पैदा हो गया है.

25 साल के लिए 400 अरब डॉलर का समझौता

 बता दें कि ईरान ने इसी साल चीन के साथ 25 साल के लिए 400 अरब डॉलर का समझौता किया है.  मई 2018 में परमाणु डील से अमेरिका के हटने के बाद ईरान बुरी तरह से अमेरिकी प्रतिबंधों की मार झेल रहा है और उसके पास पैसे की भारी कमी हो गयी है.  चीन से महाडील के बाद अब ईरान के पास जमकर पैसा आ रहा है. चीन ने भारत के विपरीत ईरान से तेल के आयात को काफी बढ़ा दिया है. इससे भी ईरान को चीन से काफी पैसा मिल रहा है.

चीन बहुत कम दाम में 25 साल तक ईरान से तेल खरीदेगा

खबर है कि ईरान और चीन ने अगले 10 साल में द्विपक्षीय व्यापार को 10 गुना बढ़ाकर 600 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा है.  दस्तावेजों के अनुसार चीन बहुत कम दाम में अगले 25 साल तक ईरान से तेल खरीदेगा.  बदले में चीन बैंकिंग, आधारभूत ढांचे जैसे दूरसंचार, बंदरगाह, रेलवे, और ट्रांसपोर्ट आदि में निवेश करेगा. इस डील के बाद ईरान की चीन के जीपीएस कहे जाने वाले बाइदू तक पहुंच हो जाएगी.  यही नहीं चीन ईरान में 5G सर्विस शुरू करने में मदद कर सकता है.

चीन 5 हजार सैनिकों को भी ईरान में तैनात करेगा

 कहा जा रहा है कि चीन अपने 5 हजार सैनिकों को भी ईरान में तैनात करेगा. चीन की योजना पाकिस्तान में चल रहे चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर को ईरान तक आगे बढ़ाने की है. चीन अगर इस इलाके में अपनी सैन्य पकड़ बना लेता है तो पश्चिम एशिया में अमेरिकी सैन्य प्रभाव पर संकट आ जाएगा. चीन अफ्रीका के जिबूती में पहले ही विशाल नेवल बेस बना चुका है.  

फरजाद-बी को लेकर हो रही बातचीत में शुरू से ही गतिरोध था

 फरजाद-बी को लेकर हो रही बातचीत में शुरू से ही गतिरोध था ओएनजीसी विदेश की अगुवाई वाले भारतीय कंसोर्टियम ने 2002 में एक्सप्लोरेशन एग्रीमेंट पर साइन किये थे और 40 करोड़ डॉलर का निवेश किया था. गैस भंडार की खोज के एक साल बाद 2009 में ईरान ने इस एग्रीमेंट को एक्सपायर होने दिया था. अभी यह साफ नहीं है कि भारतीय कंसोर्टियम अपने निवेश की वसूली कैसे करेगा. डील के लिए कई डेडलाइन मिस हुई थी. भारत ने डील की शर्तों में बार-बार बदलाव और इसमें देरी के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया था.

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