में मॉडल जेल मैनुअल नहीं बनने पर हाईकोर्ट नाराज, गृह सचिव तलब फॉगिंग गाड़ी सिर्फ कागज़ों पर आती है - जनता का आरोप घनी आबादी वाले क्षेत्रों के निवासियों का कहना है कि उनके इलाके में महीनों से फॉगिंग वाहन दिखाई ही नहीं दिए. हर साल हमारे इलाके में डेंगू के मरीज निकलते हैं, लेकिन नगर निगम की गाड़ी कभी नहीं आती. बस जब कोई बड़ा अधिकारी बीमार होता है, तब पूरी टीम पहुंच जाती है. 8 गाड़ियों से फॉगिंग का दावा, फिर भी अनदेखी क्यों?
alt="dhdhh" width="600" height="400" /> नगर निगम के अनुसार, फॉगिंग के लिए उनके पास कुल 8 गाड़ियां हैं, जिन्हें अलग-अलग टीमों में बांटकर विभिन्न वार्डों में प्रतिदिन फॉगिंग के लिए रोस्टर किया गया है. इन गाड़ियों को तय समय और स्थान पर भेजने की योजना बनाई जाती है ताकि पूरे शहर में नियमित फॉगिंग हो सके. बावजूद इसके, कई इलाकों में महीनों से फॉगिंग नहीं हुई है. 7 दिन में फॉगिंग का दावा, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और नगर निगम के रोस्टर के अनुसार, प्रत्येक वार्ड में हर 7 दिन के अंतराल पर फॉगिंग की जानी चाहिए. लेकिन अधिकतर वार्डों में यह प्रक्रिया या तो अनियमित है या पूरी तरह ठप पड़ी है. दूसरी ओर, वीआईपी इलाकों में हर हफ्ते बाकायदा फॉगिंग हो रही है. क्या मच्छर सिर्फ खास लोगों को ही काटते हैं? जनता का सवाल है कि यदि मच्छरों पर नियंत्रण के उपाय केवल चुनिंदा लोगों तक सीमित हैं, तो फिर निगम का यह दावा क्यों किया जाता है कि पूरी जनता की सेवा की जा रही है? क्या आम लोगों का स्वास्थ्य कोई मायने नहीं रखता? जनता का गुस्सा, निगम की चुप्पी टैक्स देने वाली जनता का कहना है कि अगर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं भी भेदभाव का शिकार हों, तो यह सीधा अन्याय है. जब इस मामले में नगर निगम के अधिकारियों से संपर्क किया गया, तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा, फॉगिंग नियमित रूप से की जा रही है. लेकिन जनता के अनुभव, तस्वीरें और शिकायतें इस दावे को पूरी तरह खारिज कर रही हैं. इसे भी पढ़ें - इडी">https://lagatar.in/ed-raids-confiscated-1-30-crore-cash-punit-agarwal-native-village/">इडी
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