Ranchi : सजायाफ्ता कैदियों को मिली मजदूरी में से जेल के कर्मचारी 50% हिस्सा लेते हैं. जय प्रकाश नारायण केंद्रीय कारा (हजारीबाग सेंट्रल जेल) के सजायाफ्ता कैदियों की शिकायत पर मामले की जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है. AIG तुषार रंजन समिति के अध्यक्ष हैं. समिति में बंदी कल्याण पदाधिकारी और एक प्रोबेशन ऑफिसर को सदस्य के रूप में शामिल किया जा चुका है. शिकायत की जांच के लिए समिति एक बार हजारीबाग सेंट्रल जेल का दौरा कर चुकी है.
हजारीबाग सेंट्रल जेल में करीब 900 सजायाफ्ता कैदी हैं. इनमें से 150 से अधिक कैदियों ने सरकार से यह शिकायत की थी कि उन्हें मजदूरी के रूप में मिलने वाली राशि में से जेलकर्मियों द्वारा 50% हिस्सा ले लिया जाता है. मजदूरी की रकम में हिस्सेदारी की वसूली जेलकर्मी शंभु साव के माध्यम से की जाती है.

हजारीबाग जेल की फाइल फोटो.
सजायाफ्ता कैदियों द्वारा की गयी इस शिकायत की जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति जब हजारीबाग गई थी उस वक्त शंभु साव वहां मौजूद नहीं था. बाद में उसका तबादला कर दिया गया. शंभु साव भूतपूर्व सैनिक है. अब उसके द्वारा जेल की नौकरी छोड़ दिये जाने क सूचना है. सजायाफ्ता कैदियों द्वारा मजदूरी में हिस्सेदारी वसूले जाने की शिकायत की जांच अभी जारी है. बताया जाता है कि अगर सजायाफ्ता कैदियों द्वारा की गयी शिकायतों के आलोक में दूसरे जेलों की जांच की जाए तो वहां भी इस तरह की गड़बड़ी पाये जाने की आशंका है.
राज्य सरकार द्वारा लागू किये गये नियम के आलोक में सजायाफ्ता कैदियों से उसकी योग्यता के अनुसार काम कराने और उन्हें मजदूरी देने का प्रावधान है. सजायाफ्ता कैदियों को दी जाने वाली मजदूरी का एक तिहाई हिस्सा पीड़ित पक्ष के लिए निर्धारित है. यानी अगर कोई व्यक्ति हत्या के आरोप में सजा काट रहा हो तो और उसे प्रति दिन एक रुपया मजदूरी मिल रही हो तो 33 पैसा उस व्यक्ति के परिवार को मिलेगा जिसकी हत्या हुई हो. बाकी 67 पैसा सजायाफ्ता कैदी को मिलेगा.
सजायाफ्ता कैदियों को मजदूरी के लिए 2015 में लागू नियम के तहत अकुशल को 91 रुपये प्रति दिन, कुशल को 113 रुपये और अतिकुशल को 144 रुपये प्रति दिन के हिसाब से मजदूरी मिलती है. बताया जाता है कि सजायाफ्ता कैदियों को अकुशल, कुशल और अतिकुशल की श्रेणी में बांटने के दौरान भी मनमानी की जाती है.
सजायाफ्ता कैदियों को मजदूरी का भुगतान उनके बैंक खातों में किया जाता है. इसके लिए सजायाफ्ता कैदी का बैंक में बचत खाता खोला जाता है. उसी खाते में संबंधित सजायाफ्ता कैदियों को मजदूरी की रकम का भुगतान किया जाता है. पैसों की निकासी के लिए सजायाफ्ता कैदी खुद बैंक नहीं जा सकते हैं. इसलिए Withdrawal Slip का इस्तेमाल किया जाता है.
पैसों की निकासी के लिए जेल के कर्मचारी सजायाफ्ता कैदी से Withdrawal Slip पर हस्ताक्षर करवाते हैं. इसके बाद इसे Jail Superintendent द्वारा सत्यापित किया जाता है. सत्यापन के बाद जेल के कर्मचारी बैंक जाकर withdrawal Slip के सहारे पैसों की निकासी करते हैं. फिर उसे सबंधित कैदियों को उनके द्वारा withdrawal Slip में भरी गयी राशि के अनुरूप पैसों का भुगतान किया जाता है.
हजारीबाग जेल के सजायाफ्ता कैदियों नें इसमें से हिस्सेदारी के रूप में 50% राशि काट लिये जाने का आरोप लगाया है. यानी अगर किसी सजायाफ्ता कैदी ने withdrawal Slip में 1000 रुपये भरा हो तो उसे 500 रुपये ही दिये जाते थे.


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