Kaushal Anand Ranchi : झारखंड अलग राज्य के प्रणेता रहे आंदोलनकारी कृष्ण प्रसाद महतो के पुत्र जयराम महतो अब राज्य की सिसायत में जाना-पहचाना नाम बन चुके हैं. जब जयराम महतो ने खुद को और अपने कैडर को लोकसभा चुनावी समर में उतरने का फैसला लिया, तो राजनीति के जानकार इसे उनका बचपना और राजनीतिक जल्दबाजी भरा कदम बताया था. मगर जिस प्रकार से खुद जयराम महतो और उनके लोगों ने वोट हासिल की, उससे राज्य की राजनीति में हलचल मचा गयी. जयराम महतो के बारे में यह कहा जा रहा था कि जिस कदर उनकी सभा में युवाओं की भीड़ उमड़ती थी क्या, वह वोट में तब्दील हो पाएगा, उन्होंने इस मिथ्या को सही साबित कर दिया. जयराम और उनका संगठन झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति (जेबीकेएसएस) ने झारखंड की राजनीति में खुद को स्थापित करते हुए लोहा मनवा लिया. अब जयराम महतो दूर की रणनीति बनाने में जुट गए हैं. भले ही उन्होंने घोषणा की है कि उनका संगठन 55 सीट पर अकेले दम पर चुनाव लड़ेगा, मगर सच इससे परे है. जयराम महतो की रणनीति फिलहाल राज्य की राजनीति में नया बड़ा कुरमी नेता बनने की है. इसलिए वे अपनी कोर टीम के साथ झारखंड के कुरमी बहुल करीब नौ सीटों को टारगेट करके अपनी चुनावी रणनीति बना रहे हैं. बहुत जल्द जेबीकेएसएस का पार्टी के तौर पर निबंधन कराने की तैयारी चल रही है.
इन नौ सीटों पर जयराम का है फोकस
जयराम महतो ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए नौ सीटों पर फोकस किया है, जो कुरमी बुहल सीटें हैं. यहां पर कुरमी वोट ही अंतिम रूप से निर्णायक साबित होता है. इनमें सुदेश महतो की सीट सिल्ली, ईचागढ़, मांडू, रामगढ़, गिरिडीह, डुमरी, गोमिया, हजारीबाग और बाघमारा सीट प्रमुख है. इन नौ सीटों में अधिक अधिक से अपने पाले में करने की रणनीति बनाने में जयराम महतो जुटे हैं. सुदेश और आजसू पार्टी है जयराम के निशाने पर
दरअसल अलग राज्य आंदोलन से लेकर झारखंड अलग होने के बाद से अब तक निर्मल महतो, विनोद बिहारी महतो, सुधीर महतो, शैलेंद्र महतो, टेकलाल महतो, सुदेश महतो जैसे कई कुरमी नेताओं का उदय हुआ. मगर फिर सारे आहिस्ता-आहिस्ता राजनीति से अस्त भी होते चले गए. कई कुरमी नेताओं की हत्या हो गयी तो कई वर्तमान में कुरमी राजनीति से हाशिए पर चल रहे हैं. झारखंड गठन के बाद झारखंड की कुरमी राजनीति में अचानक से सुदेश महतो का उद्भव हुआ. कभी पांच-पांच विधायक जिता कर लाने वाले सुदेश महतो खुद अपनी गृह सीट सिल्ली से दो बार चुनाव हार गए. पांच से खिसककर पार्टी दो तक भी पहुंच गयी. वर्तमान में सुदेश और उनके द्वारा ऑल झारखंड स्टुडेंट़्स यूनियन जो झारखंड आंदोलन में एक उग्र युवा संगठन के तौर पर उदय हुआ था, उसे झारखंड गठन के बाद इस संगठन के नाम को विलोपित करते हुए आजसू पार्टी का गठन कर नए सिरे झारखंड में राजनीति की शुरुआत की. करीब 15 से 18 साल तक सुदेश महतो और आजसू पार्टी की तूती झारखंड की राजनीति में चली. अब झारखंड की राजनीति में छोटा टाइगर के रूप में झारखंड आंदोलन के पुत्र के तौर पर जयराम महतो का उदय हो गया है. जयराम महतो के नजदीकी यह बताते हैं कि हमारे निशाने पर आजसू पार्टी और उनके सुप्रीमो सुदेश महतो ही हैं. 24 के विधानसभा चुनाव में हमलोग किंग मेकर की भूमिका में रहेंगे. यही कारण है कि अचानक से जयराम महतो झारखंड के तमाम बड़े राजनीति दल जैसे भाजपा, कांग्रेस और झामुमो की पसंद बन गए हैं. [wpse_comments_template]
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