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कांग्रेस पर बरसे जयशंकर, किसानों के हक से समझौता कर पाक के लिए पानी छोड़ना, ये कैसी नीति?

  • तुष्टिकरण की कीमत थी सिंधु संधि
  • पाक के लिए पानी छोड़ा, अपने किसानों को किया नजरअंदाज
  • अब बदला ले रहा है भारत
  • अब नहीं बहेंगे खून और पानी साथ-साथ
  • मोदी सरकार ने इतिहास सुधारा"

LagatarDesk :   राज्यसभा में आज ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चर्चा के दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने सिंधु जल संधि को स्थगित करने के फैसले को पहलगाम आतंकी हमले के बाद लिया गया सबसे महत्वपूर्ण और निर्णायक कदम बताया. इस दौरान उन्होंने विपक्ष (कांग्रेस) पर जमकर निशाना साधते हुए 1960 में हुए सिंधु जल संधि पर सवाल उठाये. 

 

भारत की गलत विदेश नीति की विरासत है सिंधु जल समझौता

जयशंकर ने कहा कि सिंधु जल समझौता 1950 और 60 के दशक में भारत की गलत विदेश नीति की विरासत है, जिसे बदले हुए वक्त में चुनौती देना जरूरी था. उन्होंने कहा कि हमारे किसानों के अधिकारों से समझौता कर के, किसी दुश्मन देश के लिए पानी छोड़ना, ये कहां की नीति है?"

 

जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान से न कभी दोस्ती थी, न कोई गुडविल, फिर सिंधु जल समझौता क्यों किया? ये तुष्टिकरण की कीमत थी, जिसे अतीत की सरकारों ने चुकाया. उन्हें अपने किसानों की नहीं, पाकिस्तान के पंजाब के किसानों की चिंता थी. 

 

शांति नहीं, तुष्टिकरण खरीदा गया था, सिंधु जल संधि पर उठाए सवाल

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि 1950-60 के दशक में तत्कालीन सरकार ने पाकिस्तान के हितों को प्राथमिकता दी और भारत के किसानों के अधिकारों से समझौता किया.

 

आगे कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री यह कह रहे थे कि हमें यह संधि कर लेनी चाहिए, क्योंकि भारत सरकार को पाकिस्तानी पंजाब के हितों का ध्यान रखना चाहिए. लेकिन इस दौरान कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के किसानों के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा गया.

 

जयशंकर ने आगे कहा कि 1960 में यह तर्क दिया गया कि यह समझौता शांति के लिए किया गया है और इससे दोनों देशों को लाभ होगा, लेकिन यह सोच तुष्टिकरण की नीति थी. हमने शांति नहीं खरीदी, हमने तुष्टिकरण खरीदा, क्योंकि सिर्फ एक साल के भीतर ही उसी प्रधानमंत्री ने स्वीकार कर लिया था कि पाकिस्तान के साथ कोई शांति नहीं है.

 

उन्होंने यह भी कहा कि सिंधु जल संधि को लेकर अब समय आ गया है कि हम उस ऐतिहासिक भूल को समझें, जिसने भारत के किसानों को उनके अधिकार से वंचित किया और पाकिस्तान को फायदा पहुंचाया.

 

60 सालों तक किया गया गुमराह, मोदी ने कर दिखाया

जय शंकर ने कहा कि हमें 60 सालों तक यही बताया गया कि कुछ नहीं किया जा सकता. पंडित नेहरू की गलतियों को सुधारा नहीं जा सकता. नरेंद्र मोदी सरकार ने दिखाया कि इसे सुधारा जा सकता है. अनुच्छेद 370 को सुधारा गया. सिंधु जल संधि को सुधारा जा रहा है, इसे तब तक स्थगित रखा गया था, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना पूरी तरह से बंद नहीं कर देता. हमने चेतावनी दी थी कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते. आज हम यह साबित कर रहे हैं कि हम कहते हैं, हम करेंगे. खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे. 

 

आतंकवाद का वैश्विक एजेंडा बनने में भारत ने किया काम

जयशंकर यही नहीं रूके, उन्होंने  भारत में हुए आतंकवादी हमलों का भी जिक्र किया. कहा कि 2007 में हैदराबाद में 44 लोग मारे गए थे. 2008 में 26/11 का मुंबई हमला हुआ. 2008 में जयपुर में 64 लोग मारे गए. 2008 में दिल्ली में भी बम धमाके हुए थे. विदेश मंत्री ने मोदी सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी कूटनीतिक सक्रियता और एफएटीएफ समेत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दबाव से आज आतंकवाद वैश्विक एजेंडा का हिस्सा बन चुका है.

 

 

पहलगाम हमला, भारत की संप्रभुता व नागरिकता पर सीधा हमला

जयशंकर ने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ हमला केवल एक आतंकी वारदात नहीं, भारत की संप्रभुता और नागरिकता पर सीधा हमला था. उन्होंने बताया कि हमलावरों ने पीड़ितों की पहचान पूछकर हत्या की, यह केवल आतंक नहीं, सुनियोजित धार्मिक उन्माद था. हमारे लिए सवाल सिर्फ यह नहीं था कि हमला क्यों हुआ, बल्कि यह भी था कि अब क्या किया जाएगा. जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर की योजना, निष्पादन और सीमा पार की गई जवाबी कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की निर्णायक स्थिति का प्रतीक बताया. 

 

विदेश मंत्री ने कहा कि पूरे विश्व समुदाय ने भारत की पीड़ा को समझा. ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत को मिली वैश्विक सहानुभूति और समर्थन हमारी कूटनीतिक सफलता का प्रमाण है. उन्होंने कहा, हमने आतंकवाद को जवाब देने के लिए सिर्फ सैन्य कार्रवाई नहीं की, हमने कूटनीतिक और जल-संबंधी मोर्चे पर भी कठोर फैसले लिए. सिंधु जल समझौते को रोकना, पाकिस्तान को मिलने वाले लाभों को पुनर्विचार करना, यह हमारी नई नीति का हिस्सा है. 

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