Mumbai : भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने महाराष्ट्र के पुणे में आयोजित सिम्बायोसिस इंटरनेशनल के 22वें दीक्षांत समारोह में बदलते वैश्विक शक्ति संतुलन को लेकर स्पष्ट और मजबूत संदेश का प्रसार किया.
बिना किसी देश का नाम लिये उन्होंने कहा, आज के समय में कोई भी देश, चाहे वह कितना ही ताकतवर क्यों न हो,अपनी इच्छाएं दूसरों पर थोपने की स्थिति में नहीं है. एक तरह से उन्होंने अमेरिका को संदेश दिया.
एस जयशंकर के अनुसार आज पूरी दुनिया भारत के प्रति पहले की तुलना मे अधिक सकारात्मक नजरिया रखती है. जयशंकर ने भगवान कृष्ण और हनुमान का नाम लेते हुए उन्हें सबसे महान डिप्लोमेट करार दिया.
उन्होंने कहा, जब किसी ने मुझसे एक बार पूछा कि आपके विचार में सर्वाधित महान राजनयिक कौन हैं? तो उस समय मैंने, भगवान कृष्ण और हनुमान का नाम लिया था. क्योंकि महाभारत की कहानी के महान राजनयिक हैं. दूसरे रामायण के महान राजनयिक हैं.
एस जयशंकर ने उदाहरण देते हुए कहा, हनुमान जी को वास्तव में श्रीलंका जानकारी जुटाने के लिए भेजा गया था. वे सफल भी रहे. यहां तक कि वे मां सीता से मिलने तक पहुंच गये. उन्होंने मां सीता का मनोबल बढ़ाया.
विभीषण की प्रतिभा की पहचान की. सोचा कि विभीषण भला आदमी है, गलत कंपनी में है. अगर इसे प्रोत्साहित करें तो वह हमारे समर्थन में आ सकता है. हनुमान जी इसमें सफल भी रहे. एस जयशंकर ने कहा, अगर हम ऐसे व्यक्ति को दुनिया के सामने प्रस्तुत नहीं करेंगे तो हम अपनी संस्कृति के साथ बहुत बड़ा अन्याय करेंगे
उन्होंने बताया कि विदेशों में संवाद के दौरान मैं हमारे प्रवासी भारतीयों के बारे में अक्सर प्रशंसा सुनता हूं. कहा कि भारत में कारोबार करना अब आसान हो रहा है. जीवन-यापन में सहूलियत बढ़ रही है.
एस जयशंकर ने कहा कि आज शायद अन्य किसी चीज से अधिक भारत को उसकी प्रतिभा और कौशल से परिभाषित किया जाता है. कहा कि हम भारतीय दुनिया से किस तरह संपर्क करते हैं? खुद जवाब दिया, पहले से कहीं अधिक आत्मविश्वास और क्षमता के साथ.
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