Jamshedpur (Sunil Pandey) : झारखंड के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक तथ्यों पर आधारित पुस्तक “वृहद छोटा नागपुर के आदि-बुनियाद” के लेखक, आदिवासी कुड़मी समाज के महासचिव एवं जिला बार एसोसिएशन के सदस्य अधिवक्ता सुनील कुमार गुलिआर को शुक्रवार को वरीय अधिवक्ताओं ने सम्मानित किया. पूर्व लोक अभियोजक पीएन गोप, पूर्व संयुक्त सचिव मलकीत सिंह सैनी, पूर्व संयोजक सचिव मोहम्मद कासिम एवं वरीय अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने बसंती चोला ओढ़ाकर उन्हें सम्मानित किया. पीएन गोप ने कहा कि पांच साल के कठिन परिश्रम एवं जटिल प्रक्रिया से गुजरते हुए सुनील गुलिआर ने वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित पुस्तक लिखी है जो सभी के लिए अनुकरणीय है.
उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल हो पुस्तक- पप्पू
अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू झारखंड सरकार से “वृहद छोटा नागपुर के आदि-बुनियाद” पुस्तक को उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की. जिससे झारखंड की सभ्यता संस्कृति एवं उत्तरोत्तर विकास से प्रांत के बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता, शोधकर्ता के साथ ही भावी पीढ़ी अवगत हो सके. बार एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष जेपी भगत, एनके मिश्रा, दीना प्रसाद, मोहनीश पाण्डेय, कुलविंदर सिंह, श्रीकांत सिंह, राहुल राय आदि अधिवक्ता भी इस अवसर पर उपस्थित थे.
पांच वर्ष के अथक परिश्रम के बाद लिखी गई पुस्तक
सुनील गुलिआर ने बताया कि पांच साल की अथक परिश्रम के बाद यह पुस्तक लिखी गई है. इसमें वृहद छोटानागपुर कृषि सभ्यता का विकास और इसमें विशेषकर टोटेमिक कुड़मी समुदायों द्वारा प्रारंभिक योगदान का विवरण है. इस पुस्तक में छोटानागपुर के आदिवासी, अनुसूचित जनजाति, 1941 की जनगणना में आदिवासियों को हिन्दू बताने की साजिश, आदिवासी महासभा बनाम सनातन आदिवासी महासभा के बीच का वैचारिक संघर्ष, आदिवासी अर्थात सरना धर्म, लोकुर कमिटी, आदिम कुड़मी, राढ़ क्षेत्र के लिपि, झाड़खंडी संस्कृति आदि पर प्रकाश डालने की कोशिश की गई है.