Jamshedpur (Anand Mishra) : नई शिक्षा नीति-2020 लागू होने के बाद इस वर्ष कमोबेश सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में नामांकन के लिए छात्र–छात्राओं में कुछ भ्रम की स्थिति है. इसे लेकर जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी की ओर से स्पष्ट किया गया है कि सामान्य विषय हों या वोकेशनल दोनों के लिए ही चांसलर पोर्टल पर पूर्व की ही तरह स्नातक (यूजी) या स्नातकोत्तर (पीजी) दोनों के लिए वर्ष 2023 में नामांकन के लिए आवेदन की प्रक्रिया जारी है. यूनिवर्सिटी की ओर से कहा गया है कि सर्वप्रथम यह समझना जरूरी है कि इस बार स्नातक में ऑनर्स के लिए अलग से आवेदन नही करना है. सभी छात्राएं आवेदन करते समय ‘रेगुलर’ विकल्प का ही चयन करें.
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विदित हो कि एनइपी – 2020 के अंतर्गत चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम फोर ईयर अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम-(एफवाईयूजीपी) लागू कर दिया गया है. यूनिवर्सिटी एनइपी-2020 के सभी प्रावधानों को त्वरित गति से लागू कर रही है और इसके प्रारंभिक वर्ष 2022 में ही सभी विषयों के बोर्ड ऑफ स्टडीज द्वारा एफवाईयूजीपी को अनुमोदित कराते हुए लागू कर दिया गया है. चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम एनइपी-2020 के प्रावधानों के अनुरूप प्रति वर्ष विद्यार्थियों के लिए चार प्रवेश और निकास के बिंदु प्रदान कर रहा है. छात्राओं को विशेष लाभ देनेवाली इस व्यवस्था के कारण शादी होने या आर्थिक बाधाओं के कारण बीच में पढ़ाई छूटने पर भी प्रमाणपत्र देने की व्यवस्था है, जिसका उपयोग रोजगार के अलावा स्थिति अनुकूल होने पर बाद पढ़ने के लिए बिना किसी वर्ष की क्षति के किया जा सकता है. यानी अगले वर्ष में नामांकन लेकर कभी भी स्नातक की पढ़ाई पूरी कर सकती है.
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बताया गया है कि ऑनर्स विकल्प शुरू में चुनने की अभी कोई बाध्यता नहीं है, बल्कि रेगुलर के अंतर्गत सभी आवेदन करें और फिर चयन के लिए मेजर और माइनर का विकल्प है. इसमें मेजर विषय का चयन अपनी रुचि के अनुसार छात्राएं सावधानी से कर सकती हैं. क्योंकि उसी विषय में चार वर्ष पूर्ण होने पर आगे विशेषज्ञता के लिए अध्ययन के अवसर मिलेंगे. पहले की तरह विषयों के बीच कठोर विलगाव (हार्ड सेपरेशन) भी अब नही है और छात्राएं साइंस के किसी विषय के साथ आर्ट्स, कॉमर्स, ह्यूमनाटीज आदि विषय भी साथ में लिया जा सकता है. अर्थात अब पहले की तरह ऑनर्स एवं सब्सिडियरी के लिए साइंस के साथ साइंस का या आर्ट्स के साथ आर्ट्स का कॉम्बिनेशन ही बनेगा, इस तरह की बाध्यता नहीं है.
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