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पुरानी चीजों को गांव के बाहर निकाल बीमारियों की होती है विदाई
[caption id="attachment_249240" align="aligncenter" width="600"]alt="" width="600" height="287" /> टूटी-फूटी पुरानी चीजों को गांव के बाहर ले जाते युवक.[/caption] कमिटी के जेना जामुदा ने बताया कि उक्त पूजा पूर्वज वर्षों से करते आ रहे हैं. यह आदिवासी समाज की परंपरागत पूजा है. परंपरा के अनुसार आने वाली विपत्तियों को हवा के रुख के साथ गांव के देवी देवता के पूजा स्थल से पूरब दिशा में बहा दिया जाता है.गांव के हर घर का टूटा हुआ झाड़ू, सूप, टोकरी, हांडी वगैरह को गांव के बाहर निकाल कर बीमारियों की विदाई की जाती है. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में गांव के देवी देवता की छत्रछाया, आशीर्वाद और पूजा से इस गांव के लोगों के ऊपर किसी तरह की विपत्ति नहीं आई.
वन भोजनी कार्यक्रम में ये लोग थे शामिल
पूजा के उपरांत वन भोजनी कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में अतिथि के रूप में झामुमो पूर्वी सिंहभूम जिला उपाध्यक्ष सागेन पूर्ति, समाजिक सेवा संघ के अध्यक्ष राजेश सामंत, भूपति सरदार, चमरू हेंब्रोम, मिथुन जामुदा, सुरेश दिगी, छोटे सरदार, टूरकू दिग्गी, गुरबा भूमिज, दशरथ डोंडा, सुरेन भूमिज, चित्तो भूमिज, सम्भु भूमिज, शिवचरण भूमिज, प्रकाश भूमिज, शिकारी भूमिज, सीताराम हेम्ब्रम, बोडो भूमिज, बिशाल पूर्ति, प्रधान पूर्ती, बंता बोदरा, सोनू हेम्ब्रम, छोट राय देवगम, मुकरु देवगम, गंगाराम सिधु आदि उपस्थित थे. इसे भी पढ़ें:सरायेकला">https://lagatar.in/sarayekala-police-destroyed-25-acres-of-poppy-cultivation-in-rolahatu-and-rugudih-panchayats-of-kuchai/">सरायेकला: पुलिस ने कुचाई के रोलाहातु व रुगुडीह पंचायत में 25 एकड़ में पोस्ता की खेती नष्ट की [wpse_comments_template]

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