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क्या है भूंगरु प्रोजेक्ट
प्रोजेक्ट प्रमुख राजा बागची एवं रथिन भद्र ने बताया कि भुंगरू एक अद्वितीय वैज्ञानिक तकनीक है जो भूजल संकट का सही समाधान है. जहां अन्य जल संचयन प्रणालियां अच्छे परिणाम नहीं दे रही हैं. वहीं भुंगरू भूजल को बढ़ाने के लिए पृथ्वी के ऊपरी सतह में बड़ी मात्रा में( 50 लाख से एक करोड़ लीटर) वर्षा जल या खेत के पानी को संग्रहित करने और घरेलू, कृषि और औद्योगिक उपयोग के लिए कम अवधि में उसी पानी को वापस लौटाने के लिए बहुत ही वैज्ञानिक रूप से डिजाइन की गई तकनीक है. इसे भी पढ़ें :चांडिल">https://lagatar.in/chandil-dams-water-level-being-reduced-a-radial-gate-opened/">चांडिल: डैम का घटाया जा रहा जलस्तर, खोला गया एक रेडियल गेट
भूंगरु प्रोजेक्ट के लाभ
[caption id="attachment_729351" align="aligncenter" width="272"]alt="" width="272" height="181" /> राजा बागची एवं रथीन भद्र का फाइल फोटो.[/caption] एक्वालाइन भुंगरू एजेंसी के प्रमुख राजा बक्शी ने बताया कि भूंगरु प्रोजेक्ट की लागत लगभग 20 लाख रुपये है. भुंगरू की एक इकाई विशेष स्थान की भू-जल विज्ञान स्थिति के आधार पर चार से दस मिलियन लीटर वर्षा जल या खेत के पानी को संरक्षित कर सकती है. भुंगरू की प्रत्येक इकाई 15-20 एकड़ भूमि के लिए सिंचाई का पानी या 40-50 घरों के लिए घरेलू पानी, लगभग 400-500 व्यक्तियों को साल में चार से छह महीनों के लिए पानी उपलब्ध कराने में सक्षम है. वहीं भूजल जलस्तर को भी बनाए रखने में काफी मददगार है. इस प्रोजेक्ट के सफलता पूर्वक शुरू होने से जहां बिरसानगर के 40 से 50 घरों में पानी समस्या का स्थायी समाधान हो जाएगा, वहीं भूजल स्तर भी बना रहेगा. यह प्रोजेक्ट वर्षा जल के साथ घरेलू उपयोग होने वाले जल को भी रिसाइकिल करेगा. उन्होंने बताया कि नवंबर 2023 तक यह प्रोजेक्ट चालू हो जाएगा. इसे भी पढ़ें :पलामू">https://lagatar.in/palamu-independence-day-preparations-complete/">पलामू
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