Jamshedpur (DHARMENDRA KUMAR) : कैट ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने के साथ-साथ जीएसटी अधिनियमों और नियमों की नए सिरे से समीक्षा करने का आग्रह किया है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जीएसटी काउन्सिल द्वारा जीएसटी दरों के युक्तिकरण के प्रयासों की सराहना की है. कैट के राष्ट्रीय सचिव सरेश सोंथालियो ने बताया कि 25-26 जून को नागपुर में देश के ट्रेड लीडर्स का दो दिवसीय सम्मेलन आयोजल किया गया है. दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान सभी राज्यों के लगभग 100 प्रमुख व्यापारी नागपुर सम्मेलन में व्यापारियों के अन्य अनेक ज्वलंत मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे.
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इस सम्मेलन में जीएसटी एवं ई-कॉमर्स दोनों पर एक राष्ट्रीय अभियान की रणनीति तैयार किय़ा जाएगा. यह अभियान सारे देश में एक साथ 1 जुलाई से शुरू होगा. कैट के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने कहा कि देश के व्यापारिक समुदाय का विचार है कि वर्तमान में बड़ी संख्या में विभिन्न आइटम कर की दर के गलत ब्रैकेट में आती हैं और इसलिए दरों को युक्तिसंगत बनाने से पुनर्रचना का अवसर मिलेगा, साथ ही विसंगतियों और असमानताओं से बचने के लिए जीएसटी टैक्स स्लैब को ठीक करने तथा सही टैक्स रेट में सही आइटम रखने का अवसर मिलेगा.
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सोन्थालिया ने कहा कि कैट के झंडे तले देश के व्यापार संघों ने कर दरों को युक्तिसंगत बनाने पर आपसी चर्चा को शुरू कर दिया है. हालांकि यह एक बहुत ही प्रारंभिक चरण है, लेकिन यह माना जाता है कि छूट वाली श्रेणी में केवल आवश्यक वस्तुओं को शामिल किया जाना चाहिए. कच्चे माल या किसी भी तैयार उत्पाद के अभिन्न अंग के रूप में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं और रोटी, कपड़ा और मकान से संबंधित वस्तुओं के लिए 5% टैक्स स्लैब बनाया जाना चाहिए.व्यापारियों का यह भी विचार है कि 12% टैक्स स्लैब को समाप्त कर दिया जाना चाहिए. इसके स्थान पर 14% का एक नया स्लैब जो कि 12% और 18% की राजस्व तटस्थ दर है, को वर्तमान में 18% टैक्स स्लैब में आने वाली वस्तुओं के लिए तैयार किया जाना चाहिए.
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कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कुछ दिन पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर जीएसटी अधिनियम और नियमों के सरलीकरण एवं जीएसटी के कर आधार को व्यापक बनाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया, जिससे केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को अधिक राजस्व प्राप्त होगा. उन्होंने देश के प्रत्येक जिले में एक संयुक्त जीएसटी समिति के गठन का भी सुझाव दिया. जिसमें जीएसटी के वरिष्ठ कर अधिकारी और संबंधित जिले के व्यापारिक नेता शामिल हों. समिति को जीएसटी कार्यान्वयन की निगरानी और व्यापारियों की शिकायतों के निवारण का कार्य सौंपा जाना चाहिए और जीएसटी के तहत अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए सभी प्रयास करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि स्टेकहोल्डर्ज़ से परामर्श के बाद जीएसटी की दर को सुनिश्चित किया जाना चाहिए.