Jamshedpur (Sunil Pandey) : दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी का जोनल मास्टर प्लान एक्सएलआरआइ बनाएगी. इसको लेकर शुक्रवार को झारखंड सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग तथा एक्सएलसआरआई के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ. मौके पर मुख्य वन संरक्षक एसआर नटेश, क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक स्मिता पंकज, डीएफओ दलमा सह जमशेदपुर सबा आलम अंसारी सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद थे. सोनारी स्थित वन भवन में एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ. इस समझौते पर डीएफओ सबा आलम अंसारी और एक्सएलआरआइ के डायरेक्टर फादर एस जॉर्ज ने हस्ताक्षर किया तथा समझौता की प्रति आदान प्रदान की. करीब दो साल में मास्टर प्लान की रिपोर्ट एक्सएलआरआइ सौंपेगी. इसके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी.
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समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए मुख्य वन संरक्षक एसआऱ नटेश ने कहा कि 2012 में दलमा को इको सेंसेटिव जोन घोषित किया गया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित कर मानव जीवन एवं वन्य प्राणियों के बीच समन्वय को देखते हए कार्य करने का निर्देश दिया. कई राज्यों ने इको सेंसेटिव जोन की परिधि को लेकर याचिका लगायी. जिसके बाद कोर्ट ने कुछ रियायतें दी. उन्होंने कहा कि दलमा के विकास के लिए फंड की मांग केंद्र सरकार से की गई. लेकिन वह समय पर नहीं मिल पायी. अंततः राज्य सरकार ने इको सेंसेटिव जोन के लिए मास्टर प्लान बनाने की सहमति दी.
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साथ ही इसके लिए 45 लाख रुपये का प्रावधान किया. उन्होंने कहा कि जानवरों का रहन सहन व इको सेंसेटिव जोन एवं इसकी परिधि के समीप रहने वाले गावों का कैसे विकास हो इसके लिए कार्य करने की जरूरत थी. एक्सएलआरआई के इस कार्य के लिए आगे आने पर उन्होंने उनका साधूवाद किया. मास्टर प्लान में जंगली जानवरों, पशु पक्षियों से लेकर इस तरह का विकास का मसौदा तैयार होगा कि क्षेत्र का विकास भी हो और पर्यावरण से लेकर जीव जंतुओं को किसी प्रकार का कोई नुकसान न हो. इको सेंसेटिव क्षेत्र शहर के आसपास का ऐसा क्षेत्र होता है, जहां राष्ट्रीय उद्यान या वन्यजीव अभ्यारण्य होता है. चिह्नित स्थल के 10 किमी के दायरे में होता है. इको सेंसेटिव जोन में शामिल करने का मुख्य उद्देश्य है. उद्यान व वन्यजीव अभ्यारण्य को किसी प्रकार का नुकसान न हो. इको सेंसेटिव जोन के अंदर वाणिज्यिक खनन नहीं होगा, मिल, उद्योग स्थापित नहीं किया जाएगा. हालांकि कच्चे मकान बनाया, ऑर्गेनिक फार्मिंग, वगैरह की जा सकती है.
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