Jamshedpur (Dharmendra Mishra) : बिष्टुपुर तुलसी भवन में चल रहे सप्ताह व्यापी श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन रविवार को कथावाचक सीताराम शास्त्री ने व्यास पीठ से श्री कपिल उपदेश, शिव चरित्र, ध्रुव चरित्र एवं भरत चरित्र का सुंदर व्याख्यान दिया. उन्होंने कहा कि मनुष्य को अवगुणों से सावधान रहना चाहिए, क्योंकि अवगुणों में संगठन होता हैं. व्यक्ति में एक अवगुण आने पर अगर सावधान नहीं हुआ तो अनेक अवगुण संगठित होकर पतन की ओर ले जाते हैं. दक्ष यज्ञ प्रसंग सुनाते हुए महाराज जी ने कहा कि यज्ञ का उद्देश्य पवित्र होना चाहिए. दक्ष कर्मयोगी था, कर्मठ था, किंतु कर्म का उद्देश्य उसने अपवित्र रखा, शिव के अपमान का लक्ष्य रखा, जिसका परिणाम यह निकला कि उसका यज्ञ भंग हो गया और स्वयं का शिरोच्छेदन हुआ. कर्म का उद्देश्य यदि पवित्र हैं तो वह कर्म यज्ञ कहलाता हैं.
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बिना निश्चय के नारायण नहीं मिलते
कथावाचक ने आगे कहा कि भक्ति में दृढ़ता का भाव होने पर ही भागवत से साक्षात्कार संभव हैं. सदा साधक को याद रखना चाहिए कि बिना निश्चय के नारायण नहीं मिलते. ध्रुव जी ने एक निश्चय किया था कि मुझे भागवान का साक्षात्कार करना हैं. वह निश्चय ही उन्हें लक्ष्य प्राप्ति में सफल बनाता हैं. जो व्यक्ति अपने लक्ष्य को दुर्लभ मानता हैं, वह कभी भी लक्ष्य को नहीं पा सकता. यज्ञ स्थल पर रविवार की सुबह यजमान जगदीश खंडेलवाल, किशन चौधरी, कमलेश मोदी, रीता लोधा, अजय अग्रवाल, सरिता अग्रवाल, डॉ. रेणुका, अंजु सर्राफ तथा सविता खीरवाल ने संयुक्त रूप से पूजा करायी. बता दें कि उक्त कथा का आयोजन झारखंड प्रादेशिक मारवाड़ी महिला सम्मेलन और मारवाड़ी महिला मंच जमशेदपुर द्वारा किया गया है.
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नि:स्वार्थ सेवा करनेवाले हुए सम्मानित
निःस्वार्थ सेवा और सहयोग करने वालों को भागवत कथा के दौरान सम्मानित किया गया. अंगदान के तहत अपनी धर्मपत्नी स्नेहलता चौधरी का अंगदान करवाने वाले सरायकेला के रमन चौधरी, 74 बार रक्तदान करने वाली चाईबासा की निशा केडिया, रोशनी संस्था के पदाधिकारी सहित डॉ. अजय गुप्ता एवं डॉ. विवेक केड़िया को कथावाचक सीताराम शास्त्री ने अपने हाथों से सम्मानित किया.
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