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Jamshedpur : झारखंड में बीते पांच वर्षों में यहां बेटियों की जन्म दर में कमी आई है. राज्य के 24 में से 17 जिलों में बेटों की अपेक्षा बेटियों का जन्म दर कम हुआ. प्रति 1000 बेटों पर बेटियों की संख्या 899 हो गई है. झारखंड में 2011 की जनगणना के अनुसार लिंगानुपात भले ही 948 हो, लेकिन बीते पांच वर्षों में यहां बेटियों की जन्म दर में कमी आई है. मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर द्वारा कराए गए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) -5 (2019- 21) की सेक्स रेशियो ऐट बर्थ फॉर चाइल्ड बॉर्न रिपोर्ट से यह बात सामने आई . राज्य के 24 में से 17 जिलों में बेटों की अपेक्षा बेटियों का जन्म दर कम हुआ. बेटियों की जन्म दर में गिरावट को झारखंड सरकार ने गंभीरता से लिया है. इसको लेकर पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट के झारखंड नोडल ऑफिसर डॉक्टर अनिल कुमार ने सभी सिविल सर्जनों को पत्र लिखकर इसमें सुधार के लिए कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया है.
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पूर्वी सिंहभूम में 0-6 बच्चों का लिंगानुपात 1000:923
पूर्वी सिंहभूम जिला में बीते पांच वर्ष में जहां जनसंख्या में 15.58 की दर से वृद्धि हुई है. वहीं 0 से 6 वर्ष के बच्चों की जन्म के अनुसार लिंग अनुपात में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई है, जो प्रति 1000 लड़कों पर 923 लड़की है. 2011 जनगणना के अनुसार जिले में लिंग अनुपात प्रति 1000 लड़कों पर 949 लड़की दर्ज का गई थी. वहीं बात अगर आदिम जनजाति की जनसंख्या वृद्धि की बात करें तो 2001 की अपेक्षा 2011 में जिला में 0.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. 2001 में उनकी जनसंख्या 5 लाख 52 हजार 187 थी, जो 2011 में बढ़ कर 6 लाख 53 हजार 923 हो गई.
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बेटियों की जन्म दर में हुई वृद्धि
एनएफएचएस -5 के तहत हुए सर्वे में यह बात सामने आई है कि कुछ जिलों में बीते 5 वर्ष में बेटियों के जन्मदर में वृद्धि दर्ज की गई है. देवघर में 778 से बढ़कर बेटियों की जन्म दर प्रति हजार लड़कों पर 929 हो गई है. लातेहार, पलामू, गिरिडीह, गुमला-सरायकेला में भी स्थिति सुधरी है. वहीं कुछ जिलों में बेटियों के जन्मदर में गिरावट भी दर्ज की गई है. एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस-5 की तुलना करें तो झारखंड में बेटियों की जन्म दर में सबसे अधिक गिरावट (373) खूंटी में आई है. यह संख्या घटकर अब 709 रह गई है. वहीं दुमका में 1021 से घटकर बेटियों की जन्म दर 946 हो गई है.
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