Jamshedpur : झारखंड में हिंदी की उपेक्षा किए जाने से झारखंड भाषा संरक्षण मंच नाराज है. मंच का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को उपायुक्त से मिलने समाहरणालय पहुंचा. लेकिन उपायुक्त के नहीं रहने के कारण मुलाकात नहीं हो पाई. इस संबंध में झारखंड के राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन उपायुक्त के पीए को सौंपा गया.
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उर्दू को शामिल किया जाना न्यायसंगत नहीं: अभिषेक पांडेय
मंच के अध्यक्ष अभिषेक पांडेय ने कहा कि हिंदी भाषा की झारखंड में उपेक्षा की जा रही हैं. क्षेत्रीय भाषा की सूची से इसे हटा दिया गया है.जबकि उर्दू को स्थान दिया गया है. उन्होंने कहा कि झारखंड के सभी स्कूलों में आज भी हिंदी में पढ़ाई होती है. लेकिन सभी जगह उर्दू के जानकार नहीं हैं. ऐसे में उर्दू को शामिल किया जाना न्यायसंगत नहीं है.
राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग
भाषा संरक्षण मंच के मुकेश झा ने बताया कि पीढ़ियों से जमशेदपुर में हिंदी भाषी लोग रहते आ रहे हैं. उनके बच्चे आज नियोजन के लिए भटक रहे हैं. लेकिन सरकार भाषा का विवाद उत्पन्न कर सामाजिक समरसता को बिगाड़ने का प्रयास कर रही है. उन्होंने भाषा विवाद में राज्यपाल से हस्तक्षेप करने की मांग की. जिससे वर्षों से झारखंड में रह रहे भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका, हिंदी भाषी छात्रों को उनका हक मिल सके. प्रदर्शन में रंजीत झा समेत काफी संख्या में छात्र मौजूद थे.
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