Jamshedpur (Anand Mishra) : मैथिली और हिंदी के साहित्यकार एवं शहर के करनडीह स्थित एलबीएसएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ अशोक अविचल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मैथिली भाषा मिथिला राज आदि के लिए काम करने वाली सशक्त संस्था अंतर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद का केंद्रीय अध्यक्ष बनाया गया है. डॉ अविचल इससे पहले 2003 से 2006 तक परिषद के केंद्रीय सचिव एवं 2006 से 2009 तक केंद्रीय संगठन मंत्री रह चुके हैं. फिलहाल में वह परिषद के केंद्रीय साहित्य मंच के अध्यक्ष का दायित्व संभाल रहे थे. देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थान साहित्य अकादमी संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार में भी वह पांच वर्ष मैथिली सलाहकार समिति के सदस्य एवं पांच वर्ष सामान्य एवं कार्यकारी परिषद के सदस्य के रूप में मैथिली का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. डॉ अविचल साहित्य अकादमी में मैथिली एडवाइजरी बोर्ड के को-ऑर्डिनेटर के साथ ही पूर्वी क्षेत्रीय परिषद के भी को-ऑर्डिनेटर रहे हैं.
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डॉ अशोक कुमार अविचल द्वारा लिखित अनुदित एवं संपादित दो दर्जन से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है. इसमें मैथिली भाषा सर्वेक्षण का विश्लेषण, मैथिली की प्रथम असंगत नाटक हमला देश तक भाग में के साथ-साथ मैथिली के विशालकाय कथा संग्रह कथा पारस में 125 मैथिली कथाओं का संग्रह है. संपादित लक्ष्मीनाथ गोस्वामी स्मृति ग्रंथ भाग-1, भाग-2 एवं भाग-3 का भी डॉ अविचल ने संपादन किया है. इसके अलावा डॉ अविचल के मैथिली भोजपुरी तुलनात्मक अध्ययन मैथिली एवं संथाली संस्कार गीतों का तुलनात्मक अध्ययन, संथाल समुदाय के संस्कार गीत, एक बनो नेक बानो नाटक आदि काफी चर्चित रहे हैं.
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पूर्व में मैथिली पत्रिका कचोट एवं झारखंडक सनेस का संपादन कर चुके डॉ अविचल ने झारखंड वाणी हिंदी साप्ताहिक का भी वर्षों तक संपादन किया है. वर्तमान में वह मिथिला सांस्कृतिक परिषद जमशेदपुर के वार्षिक मुखपत्र संस्कृति का संपादन कर रहे हैं एवं रायपुर से प्रकाशित मैथिल प्रवाही का के भी संरक्षक हैं. अंतर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद की पूरे देश में 70 से अधिक इकाइयां काम कर रही हैं. 40 अनुसंगिक संगठनों के माध्यम से यह संस्था विश्व भर में काम करती है. विशेष कर भारत और नेपाल में अंतर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद का प्रभाव व सक्रियता काफी देखी जाती है.
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