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1998 में कचरा फेंकने के खिलाफ किया गया था आंदोलन
[caption id="attachment_679696" align="aligncenter" width="600"]alt="" width="600" height="400" /> संयुक्त ग्राम समन्वय समिति के अध्यक्ष राम सिंह मुंडा.[/caption] संयुक्त ग्राम समन्वय समिति के अध्यक्ष राम सिंह मुंडा ने कहा कि यह भूमि वर्षों से आदिवासी मूलवासी के शमशान भूमि के रूप में चिन्हित है. उन्होंने कहा कि 1998 में यहां कचरा डंप करने वालों के खिलाफ आंदोलन किया गया था. कचरा फेंकने वालों को भगाया गया था. वर्तमान में उक्त भूमि पर शवदाह गृह का निर्माण किया जाना है. वहीं दूसरी ओर कंपनी के ठेकेदारों द्वारा रात के अंधेरे में यहां कचरा डंप किया जा रहा है. कुछ लोगों द्वारा पैसे लेकर मरे हुए मवेशी सहित अन्य कचरा फेंका जा रहे हैं. इस संबंध में जेएनएसी के विशेष पदाधिकारी को लिखित ज्ञापन दिया गया. इसे भी पढ़ें : लातेहार">https://lagatar.in/latehar-peace-committee-meeting-regarding-bakrid-emphasis-on-security/">लातेहार
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जेएनएसी ने घेराबंदी करने का दिया था आश्वासन
[caption id="attachment_679699" align="aligncenter" width="600"]alt="" width="600" height="400" /> जेएनएसी के विशेष पदाधिकारी संजय कुमार.[/caption] जेएनएसी द्वारा जल्द ही उक्त स्थल की घेराबंदी करने का आश्वासन दिया गया था. वहीं टाटा स्टील द्वारा भी कहा गया था कि जेएनएसी द्वारा घेराबंदी नहीं किए जाने पर टाटा स्टील द्वारा घेराबंदी कराई जाएगी. ताकि लोग खुले में कचरा नहीं फेंक सके. लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. मुंडा ने कहा कि बरसात का मौसम शुरू हो गया है. यदि कचरा साफ नहीं किया गया तो यह बीमारी का बड़ा कारण होगा. उन्होंने कहा कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो इसको लेकर उग्र आंदोलन किया जाएगा. [wpse_comments_template]
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