Jamshedpur (Sunil Pandey) : आदिवासी सेंगेल अभियान ने संताली एवं ओलचिकी लिपि को लेकर सक्रियता बढ़ी दी है. सेंगेल की जूम मीटिंग में इसको लेकर आंदोलनात्मक गतिविधियां संचालित करने का निर्णय लिया गया. संयोजक बिमो मुर्मू ने बताया कि सेंगेल वर्षों से संताली को झारखंड की प्रथम राजभआषा बनाने एवं ओलचिकी लिपि में पाठ्य पुस्तकें छपवाने तथा पढ़ाई शुरु कराने की मांग कर रहा है. उक्त मांग को मुखरता प्रदान करने के लिए अभियान की ओर से 17 जुलाई को झारखंड के सभी ज़िला मुख्यालयों में सरकार का पुतला दहन करेगा. उसके बाद 31 जुलाई को सभी जिला मुख्यालयों में धरना-प्रदर्शन करेगा. साथ ही उक्त विषय को लेकर उपायुक्त के माध्यम से राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन सौंपा जाएगा.
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आदिवासी समुदाय को बरगला रहे हेमंत सोरेन
बिमो मुर्मू ने बताया कि संताली को प्रथम राजभाषा एवं ओलचिकी मामले में हेमंत सोरेन झारखंड के आदिवासियों को बरगला रहे हैं. राजभाषा का दर्जा देना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है. सरकार अनुच्छेद 345 के तहत संताली भाषा को झारखंड की प्रथम राजभाषा बना सकती है. इसी तरह झारखंड के स्कूलों में संताली में पढ़ाई के लिए ओलचिकी लिपि में पाठ्य पुस्कतें सरकार छपवा सकती है, शिक्षकों की बहाली कर सकती है. लेकिन सरकार जान बुझकर इस मामले में लटकाकर रखी है तथा आदिवासियों को बरगला रही है. सरना धर्म कोड मामले में सरकार ने विधानसभा से सरना आदिवासी धर्म कोड बिल बिना राज्यपाल के हस्ताक्षर के केंद्र सरकार को भेज दिया. इसका मतलब है कि उपरोक्त मामले में सरकार की मंशा साफ नहीं है.
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