Jamshedpur (Sunil Pandey) : भारत को कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बनाने, व्यापार और वाणिज्य के साथ-साथ बड़े पैमाने पर जनता द्वारा डिजिटल भुगतान को तेजी से अपनाना अनिवार्य रूप से महत्वपूर्ण है. लक्ष्य प्राप्त करने के लिए, डिजिटल भुगतान पर लेनदेन शुल्क को सरकार द्वारा सीधे सब्सिडी देने की आवश्यकता है. उक्त बातें कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने कही. उन्होंने कहा कि आज भारत में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए बैंकों और एक डिजिटल भुगतान संवर्धन बोर्ड का भी गठन करना चाहिए. राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) को यूपीआई, भीम आदि चलाना चाहिए और भुगतान उद्योग की निगरानी और विनियमन के लिए एक अलग नियामक प्राधिकरण स्थापित किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि जब सरकार द्वारा एक नीति के रूप में ओपन नेटवर्क बनाया जा रहा है तो उपयोगकर्ताओं को सर्वोत्तम सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए भुगतान उद्योग को भी ओपन नेटवर्क दिया जाना चाहिए. निःसंदेह रुपये ने देश में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
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डिजिटल भुगतान को मिलेगा बढ़ावा
सोंथालिया ने कहा कि देश में डिजिटल भुगतान को अपनाने और स्वीकार करने में कर-भुगतान शुल्क का बोझ प्रमुख बाधाओं में से एक है. डिजिटल भुगतान के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए ऐसे कदम उठाने की आवश्यकता है.इससे अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को औपचारिक अर्थव्यवस्था में लाने के प्रयासों में भी मदद मिलेगी. करेंसी की छपाई और उसकी सुरक्षा तथा लॉजिस्टिक्स में सरकार द्वारा बड़ी रकम खर्च की जा रही है. बैंकों को लेनदेन शुल्क पर सब्सिडी देने से सभी स्तरों पर डिजिटल भुगतान के बड़े उपयोग को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही नकदी समृद्ध भारत को कम नकदी वाले भारत में बदलने के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को काफी हद तक पूरा किया जा सकेगा.
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उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि एक महीने में तीन बार से अधिक एटीएम का उपयोग करने पर, बाद में एटीएम से नकद निकासी के लिए एक मामूली शुल्क लगाया जाना चाहिए. इसके अलावा, डिजिटल भुगतान के अधिक से अधिक उपयोग के लिए एक प्रोत्साहन योजना शुरू करने की आवश्यकता है. सभी प्रकार के डेबिट और क्रेडिट पीओएस टर्मिनल, एम-पीओएस, मोबाइल वॉलेट, मोबाइल एप्लिकेशन, क्यूआर कोड, यूपीआई और आधार सक्षम एप्लिकेशन सहित डिजिटल भुगतान के अन्य सभी तरीकों को प्रोत्साहन योजनाओं के दायरे में लाया जाना चाहिए. सोंथालिया ने एक डिजिटल भुगतान संवर्धन बोर्ड बनाने का सुझाव दिया जिसमें वरिष्ठ अधिकारी और व्यापारियों और उपभोक्ताओं के प्रतिनिधि शामिल हों और वॉटल समिति की सिफारिशों के अनुसार एक स्वतंत्र भुगतान नियामक बोर्ड स्थापित किया जाना चाहिए.
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2015 का प्रोत्साहन प्रस्ताव लागू करे सरकार
सुरेश सोंथालिया ने कहा कि सरकार की ओर से अगस्त 2015 में एक प्रोत्साहन प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया था. जिसमें कुछ कर लाभ और बैंकों द्वारा ली जाने वाली लेनदेन लागत में छूट का प्रावधान है. उन्होंने सरकार से उक्त प्रस्तावों को लागू करने का आग्रह करते हुए कहा कि डिजिटल भुगतान के माध्यम से व्यावसायिक लेनदेन में भुगतान स्वीकार करने वाले दुकानदारों को प्रोत्साहन प्रदान करने का प्रस्ताव व्यापारियों को ई-भुगतान प्रणाली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा.
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