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जमशेदपुर : प्रॉफिट से परोपकार करने में विश्वास करत थे जेआरडी टाटा : एके श्रीवास्तव

Jamshedpur (Dharmendra Kumar): 29 जुलाई 1904 में जन्में जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा जिन्हे प्यार और आदर से जेआरडी टाटा के नाम से पुकारा जाता हैं. वे भारत के विमानन उद्योग और अन्य उद्योगों के अग्रणी थे. वे रतनजी दादाभाई टाटा और उनकी फ्रांसीसी पत्नी सुज़ेन्न ब्रीरे के पांच संतानो मे से दुसरे थे. वे दशको तक टाटा ग्रुप के निर्देशक रहे और इस्पात, इंजीनीयरींग, होटल, विमानन और अन्य उद्योगों का भारत में विकास किया. वर्ष 1932 में उन्होंने टाटा एयरलाइंस शुरू की. भारत के लिए महान इंजीनियरिंग कंपनी खोलने के सपने के साथ उन्होंने 1945 में टेल्को की शुरुआत की जो मूलतः इंजीनियरिंग और लोकोमोटिव के लिए थी. उन्हें वर्ष 1957 में पद्म विभूषण और 1992 में भारत रत्न से सम्मनित किया गया. टाटा समूह के पितामह जमशेदजी नुसरवानजी टाटा एवं एशिया महादीप में इस्पात उद्योग के पुरोधा ने नमक से लेकर साबुन और प्रसाधन, कपड़ा से लेकर इस्पात, लोकोमोटिव, वाहन, आवास, आईटी, चाय, रिटेल-सेल, दूरभाष हर क्षेत्र में अपनी धाक जमाई है. इसे भी पढ़ें : नोवामुंडी">https://lagatar.in/noamundi-four-day-training-program-of-tata-steel-foundation-concludes/">नोवामुंडी

: टाटा स्टील फाउंडेशन का चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न

नैतिक मानकों के लिए बहुत प्रसिद्ध थे जेआरडी टाटा

जेएन टाटा ने जो सपना देखा उसको सकरात्मक रूप देने में जेआरडी ने अहम भूमिका निभाई. वर्ष 1925 में वे एक अवैतनिक प्रशिक्षु के रूप में टाटा एंड संस में शामिल हुए थे. वर्ष 1938 में उन्हें भारत के सबसे बड़े औद्योगिक समूह टाटा एंड संस का अध्यक्ष चुना गया. दशकों तक उन्होंने स्टील, इंजीनियरिंग, ऊर्जा, रसायन और आतिथ्य के क्षेत्र में कार्यरत विशाल टाटा समूह की कंपनियों का नेतृत्व किया. वह अपने व्यापारिक क्षेत्र में सफलता और उच्च नैतिक मानकों के लिए बहुत प्रसिद्ध थे. वे 50 वर्ष से अधिक समय तक, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी थे. उनके मार्गदर्शन में इस ट्रस्ट ने राष्ट्रीय महत्व के कई संस्थानों की स्थापना की, जिसमें टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टीआईएसएस, 1936), टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (टीआईएफआर, 1945). स्वदेशी, राष्ट्रवाद और सत्ता के विकेंद्रीकरण मैं अटूट विश्वास रखने वाले व्यक्तित्व के धनी जेआरडी टाटा ने हमेशा श्रमिकों को, उत्पादकता को, उधमिता को, गुणवक्ता को, सुरक्षा को, सर्वोपरि महत्व दिया. जेआरडी टाटा ने प्रॉफिट को कभी खराब शब्द नहीं माना. बल्कि अपने लाभांश से सामाजिक दायित्व, सामाजिक समरसता, क्षेत्र के विकास, शिक्षा, विज्ञान, भारतीयता, राष्ट्रीयता पर एक सही हिस्सा खर्च करने में कभी संकोच नहीं किया. अन्य उद्मियों को भी इसके लिए प्रेरित किया. उक्त बातें समाजसेवी एके श्रीवास्तव ने कही. [wpse_comments_template]

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