- बिष्टुपुर सत्यनारायण मारवाड़ी मंदिर में भागवत कथा का दूसरा दिन
Jamshedpur (Sunil Pandey) : बिष्टुपुर सत्यनारायण मारवाड़ी मंदिर में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन शनिवार को स्वामी हिमांशु जी महाराज ने व्यासपीठ से परीक्षित जन्म और कपिल अवतार की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि कभी भी किसी महात्मा का अपमान नहीं करना चाहिए. यदि हम किसी संत का अपमान करते हैं तो भागवत प्राप्ति में बाधा डालती है. भागवत के जो मुख्य श्रोता है राजा परीक्षित, उनको श्राप के कारण श्री सुखदेवजी ने सात दिन की भागवत कथा श्रवण करायी. जिससे उनका उत्थान हो गया. उन्होंने कहा कि भगवान विष्णु ने पांचवां अवतार कपिल मुनि के रूप में लिया. भगवान उसी ह्रदय में वास करते हैं, जिसका मन गंगा की तरह साफ और पवित्र हो. मनुष्य जीवन का महत्व समझते हुए भगवान की भक्ति में अधिक से अधिक समय देना चाहिए.
इसे भी पढ़ें : रामगढ़: डीएवी रजरप्पा में मनाई गई श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
कथा व्यास हिमांशु जी ने शिव-पार्वती विवाह की महिमा का गुणगान करते हुए बताया कि श्वसुर प्रजापति दक्ष और दामाद भगवान शंकर में बैर के कारण सती जो कि भगवान भोलेनाथ की पत्नी थी ने अपने देह को यह सोचकर त्याग दिया कि भगवान शंकर का अपमान हुआ है. वहीं सती अगले जन्म में पार्वती बनी. इस कारण शिव और पार्वती का विवाह होता है. शिव और पार्वती का स्वरूप श्रद्धा और विश्वास माना जाता है. भगवान श्रद्धा और विश्वास से ही मिलते हैं. इस कथा से समाज को यह शिक्षा मिलती है कि जहां अपमान हो वहां कदापि नहीं जाना चाहिए. दूसरे दिन यजमान के रूप में अनील सुनील गर्ग, अशोक नरेड़ी, हरिशंकर सोंथालिया, नारायण भाउका, महेश सरायवाला एवं सुशील अग्रवाल मौजूद थे.
Leave a Reply