Jamshedpur (Mujtaba Haider Rizvi) : मानगो नगर निगम ने साल 2011 में मानगो ब्रिज के दोनों तरफ वेंडरों के लिए डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से 126 दुकानें बनाई थीं. मानगो नगर निगम इन दुकानों में आज तक दुकानदारी शुरू नहीं करा सका. सारी दुकानें खंडहर हो गई हैं. दुकानों की टिन शेड की छत गायब है. लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी इन दुकानों का कोई फायदा नहीं निकल सका. अब मानगो नगर निगम 11 साल बाद इनकी मरम्मत कराने जा रहा है. मरम्मत के नाम पर एस्टीमेट बनेगा. लाखों रुपये खर्च होंगे और फिर मामला वही ढाक के तीन पात रहेगा. इस तरह मानगो नगर निगम ने सरकार का लाखों रुपये का नुकसान कर दिया. फायदा किसी का नहीं हुआ. लोग कह रहे हैं की ऐसी योजनाओं का क्या फायदा जिसमें लाखों रुपये का नुकसान हो.
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अधिक किराए व सिक्योरिटी मनी के चलते नहीं आवंटित हो सकी थीं दुकानें
जब दुकानों का निर्माण हुआ था तब मानगो नगर निगम मानगो अधिसूचित क्षेत्र समिति था. समिति के अधिकारियों ने दुकानों का किराया और सिक्योरिटी मनी इतनी अधिक रखी थी कि आम फुटपाथ दुकानदार इसे नहीं ले सके. फुटपाथ दुकानदारों से ₹20000 सिक्योरिटी मनी और ₹800 प्रति महीना किराया मांगा गया था जो देने की उनकी हैसियत नहीं थी. बड़े-बड़े कारोबारियों ने दुकानें ले ली थीं. लेकिन जब बाद में देखा कि यहां दुकान चलाने से कोई फायदा नहीं है तो उन्होंने दुकानें वापस कर दीं.
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फुटपाथ विक्रेताओं को दुकानें मिलतीं तो सजता बाजार
लोगों का कहना है कि अगर फुटपाथ विक्रेताओं को उचित किराए पर दुकानें आवंटित कर दी जातीं तो सारे फुटपाथ विक्रेता एक साथ दुकानें खोल देते. इस तरह सब्जी बाजार चल जाता. लेकिन, दुकानें बड़े-बड़े करोड़पति लोगों को दी गई थीं, जो इस बात का इंतजार कर रहे थे कि बाजार सजे तो दुकान खोलें. महीना भर बीतने के बाद इन लोगों ने दुकानों पर कब्जा नहीं लिया.
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