Jamshedpur (Anand Mishra) : नैतिक शिक्षा के अभाव के कारण ही आज जगत में अनुशासनहीनता, अपराध, नशा-व्यसन, क्रोध, झगड़े, आपसी मनमुटाव बढ़ता जा रहा है. नैतिक शिक्षा ही मानव को ‘मानव’ बनाती है. क्योंकि नैतिक गुणों के बल पर ही मनुष्य वंदनीय बनता है. नैतिकता और चरित्र ही सुख-शांति की नींव है. इसलिए वर्तमान में भौतिक शिक्षा के साथ ही बच्चों को नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है. यह बात राजस्थान के माउंट आबू स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कही. वह जमशेदपुर के न्यू बाराद्वारी स्थित पीपुल्स एकेडमी प्लस टू उच्च विद्यालय में छात्र-छात्राओं एवं शिक्षक-शिक्षिकाओं को संबोधित कर रहे थे. व्याख्यान का विषय था-जीवन में नैतिक शिक्षा का महत्व. उन्होंने कहा कि भौतिक शिक्षा से भौतिकता का विकास होगा और नैतिक शिक्षा से सर्वांगीण विकास होगा. नैतिक शिक्षा से ही हम अपने व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं, जो आगे चलकर कठिन परिस्थितियों का सामना करने में आत्मविवेक व आत्मबल प्रदान करती है. सच बोलना, चोरी न करना, अहिंसा, दूसरों के प्रति उदारता, शिष्टता, विनम्रता, सुशील होना आदि नैतिकता का हिस्सा है.
इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य चंद्रदीप पांडेय ने कहा कि नैतिक शिक्षा से ही छात्र-छात्राओं में सशक्तीकरण आ सकता है. नैतिकता के बिना जीवन अंधकारमय है. नैतिक मूल्यों की कमी के कारण अज्ञानता, सामाजिक कुरीतियां जैसे व्यसन, नशा, व्यभिचार बढ़ता है. इस कारण समाज पतन की ओर बढ़ता जाता है. स्थानीय ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवा केंद्र की ओर से बीके आभा बहन ने कहा कि जब तक जीवन में आध्यात्मिकता नहीं है, तब तक जीवन में नैतिकता नहीं आती है. आध्यात्मिकता की परिभाषा बताते हुए उन्होंने कहा कि स्वयं को जानना, परमपिता परमात्मा को जानना और उसको याद करना ही आध्यात्मिकता है, जिसको राजयोग कहते हैं. बीके हनुमंत भाई राजयोग को अपनी दिनचर्या का अंग बनाने की सीख दी. उन्होंने कहा कि चरित्र हमारी सम्पति है. इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत वक्ताओं स्वागत के साथ की गयी. कार्यक्रम के समापन पर ध्यान भी कराया गया.
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