Vishwajeet Bhatt
Jamshedpur : वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल) ने बुधवार को एनएमएल सभागार में 84वां सीएसआईआर स्थापना दिवस मनाया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. संदीप कुमार कर, कार्यकारी निदेशक, आरडीसीआईएस, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल), डॉ. संदीप घोष चौधुरी, निदेशक, सीएसआईआर-एनएमएल, डॉ. संजय कुमार, मुख्य वैज्ञानिक और जय शंकर शरण, नियंत्रक प्रशासन, सीएसआईआर-एनएमएल मंच पर उपस्थित थे. कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ. निदेशक डॉ. संदीप घोष चौधुरी ने मंचासीन अतिथियों, एनएमएल सेवानिवृत्त कर्मियों, वैज्ञानिकों और आमंत्रित जनों का स्वागत किया.
एनएमएल विकसित भारत @2047 की यात्रा में विश्वसनीय भागीदार
डॉ. संदीप घोष चौधुरी, निदेशक, सीएसआईआर-एनएमएल ने कहा कि आठ दशकों से अधिक समय से सीएसआईआर केवल एक संस्था नहीं, बल्कि आधुनिक भारत की ज्ञान-रीढ़, नवाचार की ध्वजवाहक और स्वतंत्रता से आत्मनिर्भरता तथा अब विकसित भारत @2047 की यात्रा में एक विश्वसनीय भागीदार रहा है. जब 1942 में सीएसआईआर की स्थापना हुई थी, भारत अभी भी औपनिवेशिक शासन के अधीन था. उस समय दूरदर्शी नेताओं जैसे कि भारत में शोध प्रयोगशालाओं के जनक कहे जाने वाले सर शांति स्वरूप भटनागर ने वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थानों के बीज बोए. उनका दृष्टिकोण सरल किंतु गहन था. विज्ञान और प्रौद्योगिकी को समाज की सेवा करनी चाहिए.
सीएसआईआर के पास देश भर में 38 राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं
उन्होंने कहा कि आज सीएसआईआर के पास देशभर में 38 राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं, 39 आउटरीच केंद्र और तीन नवाचार परिसरों का एक सशक्त नेटवर्क है, जो कृषि और एयरोस्पेस से लेकर स्वास्थ्य और ऊर्जा तक भारत की अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र की सेवा कर रहा है. हमारे वर्तमान योगदान अनेक क्षेत्रों में फैले हुए हैं. स्वास्थ्य एवं जीवन विज्ञान, ऊर्जा एवं पर्यावरण, सामग्री एवं विनिर्माण, डिजिटल प्रौद्योगिकी तथा सतत विकास.
हमारी दृष्टि भविष्य की ओर होनी चाहिए
उन्होंने कहा कि 84 वर्षों का जश्न मनाते हुए हमारी दृष्टि भविष्य की ओर होनी चाहिए. विकसित भारत @2047 के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चार स्तंभों पर आधारित भारत के विकसित होने का आह्वान किया है. आर्थिक विकास एवं आत्मनिर्भरता, सामाजिक विकास एवं समानता, स्थिरता एवं जलवायु सहनशीलता और वैश्विक नेतृत्व. सीएसआईआर इस सपने को साकार करने में केंद्रीय भूमिका निभा रहा है. डॉ. संजय कुमार, मुख्य वैज्ञानिक एवं प्रमुख, धातु निष्कर्षण एवं पुनर्चक्रण ने मुख्य अतिथि का परिचय कराया.
उन्नत स्वदेशी इस्पात प्रौद्योगिकियों के विकास का उल्लेख
मुख्य अतिथि डॉ. संदीप कुमार कर ने औद्योगिक दृष्टिकोण से और राष्ट्र के आत्मनिर्भर भारत मिशन के अनुरूप, औद्योगिक चुनौतियों को हल करने हेतु संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कई महत्वपूर्ण विषयों जैसे- कच्चे माल की नमी प्रबंधन एवं परिवहन, सिंटर संचालन में ऊर्जा की बचत, कार्बन फुटप्रिंट में कमी, एलडी स्लैग का उपयोग, इस्पात एवं फेरो-एलॉय में कार्बन कैप्चर एवं उपयोग तथा उन्नत स्वदेशी इस्पात प्रौद्योगिकियों के विकास का उल्लेख किया. उन्होंने शोध समुदाय को सेल संयंत्रों का दौरा करने और इस्पात क्षेत्र को भविष्य उन्मुख और आत्मनिर्भर बनाने हेतु सहयोग के लिए आमंत्रित किया. उन्होंने राष्ट्र निर्माण की गौरवशाली यात्रा में सीएसआईआर परिवार एवं एनएमएल कार्मिकों को अपनी शुभकामनाएं भी दीं.
विजेता पुरस्कृत, कर्मचारी सम्मानित
84वें सीएसआईआर स्थापना दिवस पर कर्मचारियों के आश्रित बच्चों के लिए निबंध एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं. मुख्य अतिथि, डॉ. संदीप कुमार कर ने निबंध एवं चित्रकला प्रतियोगिता के विजेताओं, सीएसआईआर-एनएमएल कर्मचारियों के आश्रित मेधावी छात्रों को पुरस्कृत किया. इस अवसर पर सीएसआईआर में 25 वर्ष पूर्ण कर चुके कर्मचारियों तथा 30 सितम्बर 2024 से 31 अगस्त 2025 के बीच सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को भी सम्मानित किया गया. जय शंकर शरण, नियंत्रक प्रशासन, सीएसआईआर-एनएमएल ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
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