Jamshedpur (Sunil Pandey) : झारखंड का ऐतिहासिक हरिणा मेला 15 जून 2023 से शुरू होने जा रहा है. पहले हरिणा पर्व के रुप में इसे मनाया जाता था. जो अब हरिणा मेला हो गया है. लोक कथा के अनुसार हरिणा में बाबा भोलेनाथ का आविर्भाव करीब 400 साल पूर्व हूआ था. एक गाय के माध्यम से वर्ष 1856 से यहां नियमित रूप से एक झोपड़ी में हरिणा बाबा की पूजा हो रही है. धीरे-धीरे इसकी प्रसिद्धि मुक्तेश्वर धाम के रुप में हो गई. जिससे वर्तमान में यह स्थल एक तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध हो चुका है. एक साल पहले बाबा मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया. जहां प्रतिदिन बाबा की पूजा होती है. प्रत्येक सोमवार को यहां ज्यादा भीड़ लगती है. सावन में श्रावणी मेला के साथ यह परिक्षेत्र भगवा रंग में रंग जाता है.
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जेठ संक्रांति के दिन से होती है मेले की शुरूआत
जेठ संक्रांति जिसको रज संक्रांति भी कहा जाता है. उस दिन से हरिणा पर्व तथा हरिणा मेला की शुरुआत हो जाती है. यह मुक्तेश्वर धाम हरिणा का वार्षिक उत्सव भी है. मुक्तेश्वर धाम में बाबा के मंदिर के अलावे काली मंदिर, गणेश मंदिर, हरि मंदिर, मां पौड़ी मंदिर, हनुमान मंदिर, गुफा मंदिर, जाहेर थान, यज्ञ शाला, विवाह मंडप, धुनि कुंड, बलिथान, मोहन बाबा की समाधि मंदिर है. 15 जून से यहां जागरण, जाम डाली, गोरियाभार, छौ नृत्य आदि का आयोजन होगा. 16 जून को संक्रांति है. जिस दिन मूल उत्सव है. सुबह में भगता पोखर में भगता लोग स्नान करके बाबा के दरवार में आयेंगे.
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10 हजार भगता पहले करेंगे बाबा की पूजा
जेठ संक्रांति के दिन करीब दस हज़ार भगता बाबा की पूजा करेंगे. सबसे पहले पाठ भक्ता आयेंगे. उसके बाद बाकी भक्ता कतार से आयेंगे. यह दृश्य देखने लायक होता है. इसी दिन रजनी फुड़ा और अंगुन माड़ा भी होता है. जिसके बाद मेले की शुरूआत होती है. मेला एक सप्ताह तक चलता है. हरिणा में केवल झारखंड से ही नहीं बल्कि उड़ीसा, बंगाल, बिहार के अलावे अन्य राज्यों के लोग पूजा करने आते हैं. साहित्यकार सुनील कुमार डे ने बताया कि वर्मान में हरिणा धार्मिक स्थल आज भक्ति और आस्था का केंद्र बन चुका है जो धीरे-धीरे तीर्थस्थान का रूप ले रहा है.
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