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बस व भारी वाहनों का मेरिन ड्राइव से होगा परिचालन
मानगो पुल की मरम्मत कार्य शुरू होने के एक दिन पहले शनिवार से ही पुल पर से भारी वाहन और बसों का परिचालन पर रोक लगा दिया गया है. दोनों तरह के वाहनों को मेरिन ड्राइव और डोबो के रास्ते एनएच तक जाना होगा. इस तरह की व्यवस्था अगले एक माह तक जारी रहेगी. मानगो पुल को एक माह के भीतर ही पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है. उसके बाद पहले के जैसा ही वाहनों का परिचालन शुरू कराया जायेगा. [caption id="attachment_275157" align="aligncenter" width="300"]alt="" width="300" height="200" /> शहर को जोड़ने वाली मानगो पुल.[/caption]
बोर्ड और पंपलेट लगाकर दी जायेगी जानकारी
मानगो पुल का उपयोग करने वाले लोगों को इसको लेकर किसी तरह की परेशानी नहीं हो इसके लिये जिला प्रशासन और टाटा स्टील प्रशासन की ओर से जगह-जगह पर बोर्ड और पंपलेट लगाने का भी काम किया जायेगा. इस काम को शनिवार से ही शुरू कर दिया गया है.मानगो की तरफ जाने के लिये छोटे पुल का करें उपयोग
शनिवार से ही मानगो की तरफ जाने वाले लोगों को छोटे पुल का उपयोग करना पड़ेगा. छोटे पुल से होकर ही दो पहिया, तीन पहिया और चार पहिया वाहनों को मानगो की तरफ जाना होगा. मानगो से एमजीएम की तरफ जाने के लिये दो पहिया, तीन पहिया और चार पहिया वाहनों को बड़े पुल का उपयोग करना होगा. इसकी जानकारी वाहन चालकों को मौके पर पहुंचते ही मिल जाये. इसको लेकर मैन पावर की भी व्यवस्था की गयी है.बारी-बारी से एक-एक लेन को किया जायेगा बंद
आम लोगों की समस्या को देखते हुये सड़क मरम्मत कार्य के दौरान सिर्फ एक लेन को ही बंद करने का काम किया जायेगा. एक लेन का काम पूरा होने के बाद दूसरी लेन को बंद किया जायेगा और पहली लेन को चालू कर दिया जायेगा. इसी तरह से दूसरी लेन का काम पूरा होने के बाद उसे चालू करके छोटे पुल को बंद कर सड़क की मरम्मत की जायेगी.पुल पर 24 घंटे होगा काम
पुल की सड़क मरम्मत का कार्य एक माह के भीतर ही पूरा कर लिया जाये इसको ध्यान में रखते हुये 24 घंटे काम कराने का निर्णय लिया गया है. ऐसा होने से आम लोगों को ज्यादा परेशानी नहीं होगी. पुल के बीच में पांच जगहों पर गैप आ गया है. इस बीच उस गैप को भी भरने का काम किया जायेगा. प्रेसवार्ता में मौजूद अधिकारियों ने पुल मरम्मत कार्य में आम लोगों से सहयोग करने की अपील की है. उनकी परेशानी कम करने के लिये ही पुल की सड़क मरम्मत कार्य कराने का निर्णय लिया गया है. इसे भी पढ़ें : झारखंड">https://lagatar.in/locality-in-jharkhand-1932-khatian-and-planning-policy-it-is-a-river-of-fire-and-has-to-be-drowned/">झारखंडमें स्थानीयता, 1932 का खतियान और नियोजन नीति : इक आग का दरिया है और डूब के जाना है [wpdiscuz-feedback id="hrlucgg9rd" question="Please leave a feedback on this" opened="0"][/wpdiscuz-feedback]

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