की न्यूज डायरी।।23 FEB।। जानें JPSC का कारनामा।सिविल कोर्ट में वकील से मारपीट।बन्ना गुप्ता को कैसा डर।ऑफलाइन होगी 10th &12th परीक्षा।बिहार के अलावा कई वीडियो।। उन्होंने बताया कि बाल अधिनियम,1960 के अनुसार विभिन्न सुरक्षात्मक उपाय किए गए थे, जिसे बाद में किशोर न्याय अधिनियम, 1986 के रूप में संशोधित किया गया था. अधिनियम के अनुसार किशोर वह बच्चा है जिसने 16 वर्ष की आयु पूरी नहीं की है. ऐसे अपराधी किशोर को कारावास की सजा भी नहीं दी जा सकती है. उन्होंने बताया कि एक सुनियोजित बाल न्याय प्रणाली चल रही है जिसमें बाल कल्याण बोर्ड, बाल न्यायालय, अवलोकन गृह, बाल गृह आदि शामिल हैं.
अधिनियम की रियायतों का फायदा उठा रहे आपराधिक गिरोह
उन्होंने कहा कि आपराधिक कानून और प्रक्रिया ने बच्चों को लंबी रियायतें दी हैं जिनमें आपराधिक जिम्मेदारी से उन्मुक्ति शामिल है (भारतीय धारा 82 और 83 दंड संहिता). उन्होंने एक ठोस उदाहरण देते हुए कहा कि अगर 15 साल का लड़का बलात्कार करता है और चूंकि वह कानून की नजर में किशोर है, इसलिए उसे वह सभी सुरक्षा मिलती है जो अधिनियम प्रदान करता है. ऐसे में इस अधिनियम की रियायतों की आड़ में कुछ गिरोह शहर में आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, जो चिंता का विषय है. इसे भी पढ़ें: जमशेदपुर">https://lagatar.in/jamshedpur-raid-in-sitaramdera-amit-store-two-arrested-with-150-grams-of-ganja/">जमशेदपुर: सीतारामडेरा अमित स्टोर में छापा, 150 ग्राम गांजा के साथ दो गिरफ्तार [wpse_comments_template]

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