Jamshedpur : सनातन धर्म में रामनवमी उत्सव और अखाड़ा निकालने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. जुगसलाई गौशाला से सटे रथगली में आजादी के पहले से रामनवमी उत्सव एवं अखाड़ा निकाला जा रहा है. 1937 में पहली बार श्री श्री पागलगिरी माई जुगसलाई रथगली अखाड़ा की ओर से शोभा यात्रा निकाली गई थी. पागलगिरी माई नागा साध्वी थी. उनकी अगुवाई में 1970 तक अखाड़ा निकला. उसके बाद मोहनगिरी बाबा की अगुवाई में रामनवमी झंडा निकलने लगा. 1979 तक मोहनगिरी बाबा ने रथगली अखाड़ा का संचालन किया. उनके निधन के बाद परंपरा निर्वाह की जिम्मेवारी बैजू शर्मा के कंधे पर आ गई. 1980 से बैजू शर्मा प्रतिवर्ष रामनवनी उत्सव एवं शोभा यात्रा का आयोजन करते आ रहे हैं.
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1995 में रथगली में बजरंगबली की मूत्ति स्थापित हुई
श्री श्री पागलगिरी माई अखाड़ा रथगली जुगसलाई के कर्ताधर्ता बैजू शर्मा ने बताया कि 1937 से एक चिन्हित निशान स्थल पर पूजा अर्चना होती थी. वहीं झंडा स्थापित किया जाता था. नौ दिनों तक पूजन के उपरांत दसवें दिन विसर्जन जुलूस निकलता था. उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों के सहयोग से 1995 में रथगली में बजरंगबली की मुर्ति की स्थापना की गई. तब से भव्य रुप से पूजा एवं अखाड़ा का आयोजन किया जाता है. उन्होंने बताया कि रथगली में स्थापित बजरंगबली मनोकामना की पूर्ति करती हैं. जिससे उनके प्रति भक्तों की आस्था है.
श्री श्री पागलगिरी माई अखाड़ा कमेटी
लाइसेंसी बैजू शर्मा, अध्यक्ष संजय कसेरा, महासचिव पंकज अग्रवाल, कार्यकारिणी सदस्य सुरज दास, शिवजी साव, महावीर शर्मा, मधुरेश बाजपेयी, सुबोल सरदार, सोनू सोनकार, शंकर बहादूर, प्रतीक कुमार, शिवा गुप्ता, राजा शर्मा आदि.