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जमशेदपुर : तेजी से बढ़ रहा शिक्षा का खर्च

Jamshedpur (Anand Mishra) : मुद्रास्फीति एक जादू ऐसा है कि वह छह साल के अंतराल पर पढ़ाई का खर्च दोगुना कर देती है. इसे कहते हैं शिक्षा में मुद्रास्फीति. इसका असर ऐसा है कि समय के साथ चीजों की कीमत बढ़ा देती है. अतः यह बच्चों की शिक्षा के लिए पर्याप्त पैसे की जरूरत को सुनिश्चित करने के लिए माता-पिता अथवा अभिभावकों को अपनी बचत को समझदारी से निवेश करने की जरूरत है. उन्हें बढ़ते एजुकेशन खर्च की तुलना में अपने पैसे को तेजी से बढ़ाने के तरीके खोजने होंगे. इस तरह, वे ज्यादा खर्चों से बच सकते हैं और समय आने पर अपने बच्चों की शिक्षा पर खर्च करने के लिए तैयार रह सकते हैं. इसे भी पढ़ें : सेंसेक्स">https://lagatar.in/market-cap-of-7-out-of-top-10-sensex-companies-decreased-by-rs-77434-98-crore-itc-suffered-the-most/">सेंसेक्स

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तेजी से बढ़ रहा शिक्षा का खर्च

वैसे तो महंगाई लगातार बढ़ रही है, लेकिन देखा जाये, तो अन्य चीजों की तुलना में शिक्षा का खर्च बहुत तेजी से बढ़ रहा है. उदाहरण के तौर पर देखा जाये, तो यदि आम चीजें साल भर में 6 प्रतिशत ज्यादा महंगी हो जाती हैं, तो शिक्षा का खर्च हर साल 11-12 प्रतिशत महंगा हो सकता है. इसका मतलब है कि शिक्षा का खर्च सिर्फ 6 से 7 साल में दोगुना हो सकता है. शिक्षा में मुद्रास्फीति का अर्थ है कि जैसे-जैसे समय बीतता है शिक्षा का खर्च ज्यादा महंगा होता जाता है. इसे भी पढ़ें : ओमान">https://lagatar.in/many-laborers-of-hazaribagh-district-stranded-in-oman-appealed-to-return-to-their-homeland/">ओमान

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यदि कोई विद्यार्थी किसी टॉप बिजनेस स्कूल से एमबीए करना चाहता है. आज दो साल के एमबीए प्रोग्राम का खर्च लगभग 20 लाख रुपये हो सकता है. लेकिन शिक्षा मुद्रास्फीति के कारण, भविष्य में इसी कार्यक्रम का खर्च बहुत ज्यादा हो सकता है. हो सकता है कि कुछ सालों में यह 25 लाख रुपये या इससे भी ज्यादा हो जाए. इसलिए, शिक्षा मुद्रास्फीति शिक्षा की कीमत को बढ़ा देती है और माता-पिता के लिए यह आवश्यक है कि वे भविष्य में बुद्धिमानी से योजना बनाएं और अपना पैसा बचाएं. अगर भविष्य में मुद्रीस्फीति 11 प्रतिशत मानकर चला जाये, तो उसी एमबीएम प्रोग्राम में आने वाले सालों में खर्च का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. वर्तमाम में यदि एमबीए प्रोग्राम का खर्च 24.6 लाख रुपये है, तो 11 प्रतिशत की दर से बढ़ कर वर्ष 2028 में यह 41.4 लाख रुपये हो जायेगी. [wpse_comments_template]

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