Jamshedpur : पूर्व सांसद सह आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र की ओर से आहूत 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस का लक्ष्य है. दुनिया भर के आदिवासियों को न्याय और अधिकार दिलाने का संकल्प दिवस मनाना. समीक्षा करना. गंभीर चिंतन मंथन करना. आगे बढ़ना. अंततः उनके अस्तित्व पहचान हिस्सेदारी की रक्षा करना. इस संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र ने 13 सितम्बर 2007 को विश्व आदिवासी अधिकार घोषणा पत्र भी जारी किया है परंतु झारखंड सरकार की ओर से इसको झारखंड जनजातीय महोत्सव- 2022 के रूप में मनाना सच्चाई को छिपाने जैसा प्रतीत होता है. संयुक्त राष्ट्र की भावना और आदिवासी चिंताओं से अलग कोई खुशी और विजय का माहौल/त्योहार जैसा दिखाने का प्रयास है.
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लाचार और कमजोर हुये हैं आदिवासी
जबकि संविधान, कानून के साथ खिलवाड़ कर अबतक आदिवासी अन्याय अत्याचार और शोषण का सर्वत्र शिकार होता रहा है. बल्कि दो दशकों के झारखंड में भी आदिवासी ज्यादा लाचार और कमजोर हुआ है. अतः झारखंड सरकार का प्रस्तावित जनजातीय महोत्सव- 2022 जले में नमक छिड़कने जैसा है. झारखंड सरकार के आयोजकों से आग्रह है 9 अगस्त के कार्यक्रम को संयुक्त राष्ट्र की भावना, चिंता और लक्ष्यों के साथ जोड़ें. तब अच्छा लगेगा और सार्थक होगा.
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