Jamshedpur (Dharmendra Kumar) : सिदगोड़ा सूर्य मंदिर परिसर में घनश्याम कृपालु धाम वृंदावन एवं जमशेदपुर सूर्य मंदिर समिति के संयुक्त तत्वाधान में सात दिवसीय दिव्य दार्शनिक प्रवचन एवं संकीर्तन का शुभारंभ सोमवार को हुआ. पशुपतिनाथ जी नेपाल से पधारे पूज्य स्वामी रामदास जी ने अनंत सुख कहां विषय पर मार्गदर्शन किया. उन्होंने वेद एवं शास्त्रों से प्रमाण देते हुए कहा कि प्रत्येक जीव अनेक प्रकार से दुःखी है लेकिन वह दुःख नहीं चाहता है बल्कि आनंद चाहता है. स्वामी जी ने आगे कहा कि ऐसा नहीं कि हम केवल इसी जन्म में आनंद चाहते हैं. हम अनादि हैं और निरंतर आनंद ही चाहते हैं. जिस प्रकार इस जीवन में हम हमेशा आनंद के निमित्त ही प्रयत्नशील हैं.
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उसी प्रकार इसके पूर्व अनंत जन्मों में भी हमने आनंद को ही चाहा, आनंद को ही ढूंढा. अनादि काल से आज तक आनंद को ढूंढने पर भी हमको वास्तविक सुख यानि अनंत मात्रा का प्रतिक्षण बढ़ने वाला और सदा को रहने वाला आनंद नहीं मिला. तो वास्तविक सुख कहाँ है? वेद-शास्त्र कहते हैं की भगवान ही आनंद हैं, चाहे हम उनको भगवान कहें, ब्रह्म कहें, राम कहें, कृष्ण कहें या केवल आनंद कहें एक ही बात है. तो क्योंकि भगवान ही आनंद हैं इसलिए भगवान को प्राप्त करके ही हम सुखी हो सकते हैं. महाज ने कहा कि भगवान तो सर्वव्यापी हैं. इसीलिए उनको जानने मात्र से ही उनका लाभ मिल जाएगा. जो भगवान को जान लेता है, वह आनंद को प्राप्त करता है.