में जवानों की शहादत के दिन भाजपा मुख्यालय में जश्न पर INDIA ने सवाल उठाया कुलपति प्रो (डॉ) अंजिला गुप्ता ने अपने अध्यक्षीय भाषण में हिंदी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिंदी सुरीली है, अप्रतिम है, मधुर है, व्यापक है और जनमानस की भाषा है. उन्होंने कहा कि फ्रांस में फ्रेंच दिवस, जर्मनी में जर्मन दिवस, चीन में चीनी दिवस, रूस में रूसी दिवस आदि नहीं मनाए जाते, क्योंकि वहां के देशवासी अपनी भाषा में पलते-बढ़ते हैं, किंतु हमारे देश का दुर्भाग्य कि मैकाले ने हिंदी भाषा को खत्म करने के लिए अंग्रेजियत को शिक्षा में आवश्यक बना दिया. बच्चों को अंग्रेजी में पलने-बढ़ने को विवश कर दिया गया, जो भारत की शिक्षा में बाधक बन गई. राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का उदाहरण देते हुए उन्होंने राष्ट्रीयता और समग्र विकास के लिए हिंदी की उपयोगिता को विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि अमेरिका और विदेश के अन्य बहुत सारे विश्वविद्यालयों में हिंदी एक सम्पूर्ण भाषा और विषय के रूप में पढ़ाई जाती है. आज संस्कृत को सर्वाधिक वैज्ञानिक भाषा माना जाता है, जो सरल रूप में हिंदी है. भारत के वैज्ञानिकों और कानपुर जैसे आईआईटी तथा अन्य कई संस्थानों ने भी हिंदी को अपना लिया है. यह शुभ संकेत हैं और हिंदी शीघ्र ही राष्ट्रभाषा के रूप में भारत को सुशोभित करेगी, ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है. इसे भी पढ़ें : INDIA">https://lagatar.in/emergency-mentality-alive-in-india-alliance-threatening-sanatan-and-media-is-their-pastime-nadda/">INDIA
गठबंधन में आपातकाल की मानसिकता जिंदा, सनातन और मीडिया को धमकी देना उनका शगल : नड्डा
हिंदी पल पल जिए माटी चंदन है : प्रो. रागिनी भूषण
मुख्य वक्ता प्रो रागिनी भूषण ने भाषा के मूल तत्वों की व्याख्या करते हुए हिंदी के महत्व को रेखांकित किया. अक्षरों को मिलाकर शब्द, शब्दों से वाक्य विन्यास और फिर भाषा बनती है. अनुशासित शब्दावली और वाक्यावली के साथ हिंदी भरी पूरी भाषा है. हिंदी संस्कृत भाषा का सरल रूप है. हिंदी दिवस आजतक बस ‘राजभाषा दिवस’ है यह दु:ख व्यक्त करते हुए उन्होंने आह्वान किया कि हम सभी प्रार्थना करें कि हिंदी दिवस शीघ्र ‘राष्ट्रभाषा पर्व दिवस’ के रूप में मनाई जाय. हिंदी की विविध विशेषताओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने संप्रेषणीय क्षमता से परिपूर्ण हिंदी को राष्ट्रीयता का प्रतीक बताया. क्षेत्रीय और विदेश की भाषाओं को भी सहजता से समाहित करने की क्षमता के कारण भी हिंदी में राष्ट्रभाषा बनने की योग्यता है. दूसरी भाषा भी सीखनी चाहिए, यह कहते हुए उन्होंने दोहराया कि हिंदी राष्ट्रभाषा अवश्य बनेगी. अपने संबोधन को और मधुर बनाते हुए उन्होंने हिंदी पर गीत सुनाया जिसके स्वर थे –‘हिंदी पल पल जिएं माटी चंदन है...’. इसे भी पढ़ें : HC">https://lagatar.in/hc-asked-what-steps-were-taken-to-get-prosecution-sanction-against-the-accused-of-first-and-second-jpsc/">HCने पूछा- पहली और दूसरी JPSC के आरोपियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति के लिए क्या कदम उठाये गए
हिंदी का प्रसार हो तो सभी हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वतः स्वीकार कर लेंगे : डॉ सुधीर कुमार साहू
इससे पूर्व विषय प्रवेश कराते हुए डॉ सुधीर कुमार साहू ने हिंदी को जन-जन के लिए सुलभ भाषा बताया, जो भारत का गौरव है. इतिहास की बात करते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा बताया था. 14 सितंबर 1949 को हिंदी को एक राजभाषा के रूप में स्वीकृति मिली. पूरे इतिहास को सामने रखते हुए उन्होंने कहा कि भाषा को लादने की बात कही जाती थी, किंतु अब स्थिति बदल रही है और गैर हिंदी भाषी दक्षिण के राज्यों में भी अब हिंदी के प्रति विद्रोह जैसी कोई बात नहीं दिखाई देती. उन्होंने कहा कि यदि इसी प्रेमभाव से हिंदी का प्रसार होता रहे तो सभी हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वतः स्वीकृत कर लेंगे. इसे भी पढ़ें : मनरेगा">https://lagatar.in/mnrega-scam-high-courts-decision-reserved-on-pil-filed-for-investigation-against-pooja-singhal/">मनरेगाघोटाला : पूजा सिंघल के खिलाफ जांच के लिए दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित
Leave a Comment