Jamtara: करमाटांड़ प्रखंडन्तर्गत मोहनपुर गांव के रहने वाले रावण हेंब्रम को न आवास की सुविधा मिला है और न ही खाद्यान्न मिल रहा है. लिहाजा रावण अपनी पत्नी समेत 4 बच्चे के साथ एक टूटी झोपड़ी में रहने को विवश है. इसमें ना तो दरवाजा है और ना ही ऊपर बढ़िया छत है. वर्षों से उसे ना तो राशन मिल रहा है और ना ही रहने के लिए आवास मयस्सर हो सका है.
कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधि को मामले की जानकारी दी गई. प्रत्येक बार आश्वासन के सिवाय कुछ हाथ नहीं लगा है. स्थिती यह है कि यहां के पूर्ववर्ती सरकार में पूर्व कृषि मंत्री सह सारठ विधायक रणधीर सिंह ने भी इस गरीब पर ध्यान नहीं दिया. इतना ही नहीं पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने भी कभी इस गरीब परिवार की सुध नही ली. इससे उनमें व्यवस्था के प्रति असंतोष है.
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उनका कहना है कि कई बार प्रखंड कार्यालय के चक्कर लगाये. परंतु स्थिति जस की तस है. किसी ने मेरी एक नहीं सुनी. दो कमरे का मिट्टी का मकान है. यह कभी भी बरसात में गिर सकता है. वे एक में मवेशी और एक में अपने पत्नी बच्चों के साथ रहते हैं. विभाग सबको घर देती है तो आखिर मुझे घर क्यों नहीं दे रही है. जबकि मैं मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करता हूं. ऐसी स्थिति में घर बनाना बहुत मुश्किल है. बच्चों की परवरिश करें या घर के बारे में सोचें.
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वे कहते हैं कि इसी गांव में अच्छे घरों में रहने वालों को पक्के मकान मिले हैं. उन्हें राशन भी मिल रहा है. यह कहां का न्याय है. हमने कई बार आवास एवं राशन के लिए अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियो से गुहार लगाया. लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. जिस दिन भी आवास और राशनकार्ड के लिए अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के पास जाते हैं. उस दिन कमाई भी नहीं हो पाती. इससे हमारी स्थिति और खराब हो जाती है. सरकार इस पर ध्यान दे.
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