Jamtara : झारखंड में उर्दू भाषा की तरक्की एवं सुधार को लेकर मदरसा टीचर्स एसोसिएशन के जिला सचिव कौरेश अंसारी की अध्यक्षता में शुक्रवार को जामताड़ा प्रखंड क्षेत्र के पाकडीह मुस्कान कॉलोनी में सामाजिक संगठनों की बैठक हुई. बैठक में कहा गया कि राज्य के सभी 24 जिलों में छात्र-छात्राएं पढ़ लिख कर उर्दू की डिग्री लेकर रोजगार हेतु घूम रहे हैं. लेकिन राज्य सरकार इन शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार नहीं दे पा रही है. सरकार की उदासीनता के कारण उर्दू की डिग्री लेकर प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के मंसूबे पर पानी फिरता नजर आ रहा है. कहा कि 23 दिसंबर 2021 को झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग के विज्ञापन संख्या 5 / 2021 में जिला स्तरीय विभिन्न पदों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया है. परंतु सभी 24 जिलों में उर्दू को नजरअंदाज कर दिया गया है. सामाजिक संगठनों ने इस विज्ञापन को पुनः संशोधित करने के लिए मुख्यमंत्री, राज्यपाल एवं झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष को मांग पत्र सौंपने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सचिवालय, समाहरणालय, प्रखंड मुख्यालय, थाना, अनुमंडल एवं पंचायत स्तरीय विभिन्न कार्यालयों के संचालन हेतु उर्दू पदों पर झारखंड के 21 वर्ष बाद भी बहाली नहीं कर पाई है. ऑल इंडिया मुस्लिम यूथ एसोसिएशन के जामताड़ा जिला अध्यक्ष ताबिश उर रहमान ने कहा कि प्राथमिक विद्यालयों से कॉलेज की विभिन्न कक्षाओं तक उर्दू भाषा के छात्र छात्राओं को निरंतर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं दूसरी तरफ जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण उर्दू विद्यालयों में हिंदी शिक्षक एवं हिंदी विद्यालयों में उर्दू शिक्षकों का पदस्थापन होने से उर्दू भाषा के छात्र एवं छात्राओं की पढ़ाई ठप है. सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद रफीक अंसारी ने कहा कि झारखंड में उर्दू के साथ भेदभाव कदापि बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. वर्ष 2007 में उर्दू को द्वितीय राजभाषा का दर्जा देकर उर्दू शिक्षित बेरोजगार युवकों और युवतियों को झुनझुना थमा दिया है. इस मौके पर तोहिद आलम, अशरफ करीम, अजीमुद्दीन अंसारी, मोहम्मद गुफरान अंसारी, सलीम अंसारी, जाहिद अंसारी, तौसीफ अंसारी, तरन्नुम यासमीन, गुलेनूर खातून, आलिया परवीन, अहमद हुसैन, आसिफ हुसैन, मुख्तार अंसारी आदि मौजूद थे. यह भी पढ़ें : क्रिसमस">https://lagatar.in/relief-from-cold-on-christmas/">क्रिसमस
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जामताड़ा : कर्मचारी चयन आयोग की वैकेंसी में उर्दू डिग्रीधारियों की उपेक्षा

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