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भीख मांगने वाले बच्चों के बीच शिक्षा का अलख जगा रहा जन चेतना संस्थान

Bermo: कोरोना महामारी से बचाव के लिए सभी संस्थान बंद कर कर दिए गए थे. लेकिन अब धीरे-धीरे सभी स्कूल, कॉलेज और कोचिंग सेंटर खुलने लगे हैं. लेकिन अभी भी बच्चों के लिए प्राथमिक विद्यालय खोलने की इजाजत नही दी गई है. आनेवाले दिनों में बच्चों के लिए भी स्कूल खोल दिए जायेंगे. लेकिन कुछ वंचित समुदाय के ऐसे बच्चे हैं जो स्कूल बंद हो जाने के कारण भीख मांगने का काम करने लगे हैं. दरअसल बेरमो के गोमिया प्रखंड अंतर्गत स्वांग जरंगडीह सीम के निकट गुलगुलिया धौड़ा है. इसका नाम अब गांधीग्राम हो गया है. स्थिति यह है कि यहां के बच्चे एवं उनके अभिभावक आज भी भीख मांग कर गुजारा करते हैं. देखें वीडियो-   इस क्षेत्र में एक स्वयंसेवी संस्था है. नाम है जन चेतना संस्थान. संस्था के लोग इन दिनों बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं. संस्था के अध्यक्ष विशम्भर दास ने बताया कि यहां 2008 से ही जागरूकता का काम किया जाता रहा है. 2012 के बाद यहां के 6 बच्चों को डीएवी स्कूल स्वांग में दाखिला करा दिया गया. करीब 35 बच्चों को सरकारी स्कूल में नामांकन करा दिया गया. सभी बच्चे स्कूल जाते थे. लेकिन कोरोना काल में स्कूल बंद हो गया. उसके बाद बच्चे एक बार फिर से भीख मांगने लगे. इसे भी पढ़ें-  दो">https://lagatar.in/due-to-the-vigilance-of-two-thousand-policemen-the-incident-was-free-mahashivratri-sp/36804/">दो

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बच्चों को मिलती है चॉकलेट

बच्चों के लिए वहां एक निजी शिक्षक को रखा गया है, जो बच्चों को पढ़ाता है. इस प्रयास में यहां के स्थानीय लोगों का साथ भी मिल रहा है. वे इसमें आर्थिक सहयोग कर रहे हैं. बच्चों को पढ़ा रहे दशरथ कुमार ने बताया कि लॉकडाउन में बच्चे शिक्षा से दूर हो गए थे. अभी भी बच्चों को बैठाना मुश्किल होता है. उन्हें रोज चॉकलेट देकर बैठने के लिए प्रेरित करते हैं. इसे भी पढ़ें-   ESIC">https://lagatar.in/vacancy-on-the-posts-of-senior-resident-in-esic-hospital-adityapur-see-update-here/36582/">ESIC

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अभिभावक नहीं है सजग

यहां के अभिभावक की भी शिक्षा के प्रति जाकरु्क नहीं हैं. उन्हें कोई मतलब नहीं है. दरअसल इनकी कई पीढ़ी भीख मांग कर गुजारा करती रही है. इसलिए इन्हें कोई फर्क नही पड़ता है. वैसे कुछ अभिभावक शिक्षा के प्रति जागरूक हैं. उनके बच्चे डीएवी स्कूल में पढ़ते हैं और बच्चों के प्रति ध्यान भी रखते हैं. शिक्षक ने कहा कि जब तक बच्चों के स्कूल खुल नही जाते तब तक उनका ध्यान रखना जरूरी है. इसलिए पढ़ाया जा रहा है. इसे भी पढ़ें-  रेलकर्मियों">https://lagatar.in/due-to-the-vigilance-of-the-railway-personnel-the-smoke-rising-from-the-goods-train-was-controlled/36774/">रेलकर्मियों

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