Ranchi : जनजाति सुरक्षा मंच का एक प्रतिनिधिमंडल आज गुरुवार को राज्य की मुख्य सचिव अलका तिवारी से उनके प्रोजेक्ट भवन स्थित कार्यालय में मिला. प्रतिनिधिमंडल ने उनको ज्ञापन सौंप कर मांग की कि सरकारी सेवा में कार्यरत जनप्रतिनिघि/कर्मचारी, जो जनजातियों की आरक्षित सीट/आरक्षित पद पर धर्म परिवर्तित करने के बाद भी काबिज हैं, उन्हें चिह्नित कर उनका जाति प्रमाण पत्र निरस्त किया जाये.
ईसाई धर्म में कोई जाति व्यवस्था नहीं है
प्रतिनिधिमंडल ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का हवाला दिया. मुखिया संघ के अध्यक्ष सोमा उरांव ने कहा कि मामला धर्मांतरित अनुसूचित जाति महिला से संबंधित है, लेकिन यह न्याय निर्णय संपूर्ण ईसाई धर्म को मानने वालों पर है. यह संविधान अनुच्छेद 25 के तहत है. मेघा उरांव ने कहा कि जब ईसाई धर्म में कोई जाति व्यवस्था नहीं है, तो इसके बावजूद धर्मांतरित ईसाई आदिवासियों को जनजाति का जाति प्रमाण पत्र निर्गत क्यों किया जा रहा है. जाति व्यवस्था केवल हिंदू धर्म से जुड़े कुछ धर्मो में प्रचलित है.
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, सीएम को भी ज्ञापन भेजा
जनजाति सुरक्षा मंच ने इससे संबंधित ज्ञापन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, कानून मंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भी भेजा है. प्रतिनिधिमंडल में मेघा उरांव, संदीप उरांव, सोमा उरांव, हिंदवा उरांव, सनी उरांव, लोरया उरांव, रवि प्रकाश उरांव राजू उरांव समेत अन्य शामिल थे.