Search

जैप-1 ने मनाया 141 वां स्थापना दिवस, DGP एमवी राव रहे मौजूद

Ranchi : डोरंडा स्थित जैप 1 परिसर में मंगलवार को जैप-1 का 141 वां स्थापना दिवस समारोह मनाया गया. स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड के डीजीपी एमवी राव मौजूद रहे. इस दौरान डीजीपी ने कहा कि जैप वन का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है. यहां के वीर जवानों ने हमेशा अपनी शहादत देखकर जैप वन का नाम बुलंद किया है. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डीजीपी एमवी राव सहित अन्य वरीय पुलिस अधिकारियों ने शहीद स्मारक पहुंच कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. इसे भी पढ़ें -सीएम">https://lagatar.in/raid-on-night-in-the-attack-on-cms-convoy-6-people-were-detained/15327/">सीएम

के काफिले पर हमला मामले में पूरी रात हुई छापेमारी, 6 लोगों को हिरासत में लिया गया

जैप-1 का गौरवशाली रहा है इतिहास

जैप-1 का इतिहास गौरवशाली रहा है. झारखंड में अगर वीआइपी सुरक्षा या फिर नक्सलियों के खिलाफ लोहा लेने की बात हो तो उसमें अगर गोरखा जवानों की बात नहीं की जाए तो यह कहानी अधूरी रह जाती है. झारखंड में पिछले 141 सालों से गोरखा के जवान सुरक्षा का जिम्मा संभाले हुए हैं. झारखंड के सभी वीवीआइपी की सुरक्षा का जिम्मा भी जैप वन के जवानों पर ही है.झारखंड के डीजीपी ने कहा कि यह फोर्स उन्हें गौरव प्रदान करती है, आज इस फोर्स का 141 वां स्थापना है. इस अवसर पर पूरे पुलिस परिवार की ओर से डीजीपी होने के नाते वे जैप परिवार को बधाई देते हैं. इसे भी पढ़ें -ओरमांझी">https://lagatar.in/oramanjhi-young-women-trained-in-a-program-organized-by-art-of-living/15330/">ओरमांझी

: आर्ट ऑफ लिविंग के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में युवतियों को किया गया प्रशिक्षित

क्या है जैप-1 का इतिहास

मिली जानकारी के अनुसार जनवरी 1880 में अंग्रेजों के शासनकाल में इस वाहिनी की स्थापना न्यू रिजर्व फोर्स के नाम से हुई थी. वर्ष 1892 में इस वाहिनी को बंगाल मिलिट्री पुलिस का नाम दिया गया. इस वाहिनी की टुकड़ियों की प्रतिनियुक्ति तत्कालीन बंगाल प्रांत, बिहार, बंगाल एवं ओड़िशा को मिलाकर की जाती रही. वर्ष 1905 में इस वाहिनी का नाम बदलकर गोरखा मिलिट्री रखा गया. राज्य के अन्य स्थानों पर प्रतिनियुक्त गोरखा सिपाहियों को भी इस वाहिनी में मिलाया गया. देश में स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1948 में इस वाहिनी का नाम बदलकर प्रथम वाहिनी बिहार सैनिक पुलिस रखा गया था. इस वाहिनी की प्रतिनियुक्ति नियमित रूप से देश के विभिन्न राज्यों में की जाती रही, जिसमें वर्ष 1902 से 1911 तक देहली दरबार, वर्ष 1915 में बंगाल, 1917 में मयूरभंज, मध्य प्रदेश, 1918 में सरगुजा मध्य प्रदेश, 1935 में पंजाब, 1951 में हैदराबाद, 1953 में जम्मू-काश्मीर, 1956 में असम (नागालैंड), 1962 में चकरौता (देहरादून), 1963 में नेफा, 1968-69 में नेफा के प्रशिक्षण केंद्र हाफलौंग असम आदि शामिल हैं. यहां तक कि वर्ष 1971 में भारत पाक युद्ध के समय इस वाहिनी को त्रिपुरा के आंतरिक सुरक्षा कार्यो के लिए प्रतिनियुक्त किया गया था. उस वक्त साहसपूर्ण कार्यो के लिए वाहिनी को भारत सरकार ने पूर्वी सितारा पदक से अलंकृत किया था. वर्ष 1982 में दिल्ली में आयोजित नवम एशियाड खेलकूद समारोह के दौरान इस वाहिनी की प्रतिनियुक्ति की गयी, जहां बेहतर कार्य के लिए दिल्ली सरकार ने सराहा था. वर्ष 2000 में झारखंड अलग गठन के बाद इस वाहिनी का नाम झारखंड सशस्त्र पुलिस वन (जैप वन) रखा गया था. वर्ष 2004 व 2011 में इस वाहिनी के बिगुलर व बैंड पार्टी ने अखिल भारतीय स्तर पर पहला स्थान प्राप्त किया था. इसे भी पढ़ें -बोकारो">https://lagatar.in/bokaro-1-and-a-half-crore-could-not-be-spent-due-to-lack-of-awareness-only-40-beneficiaries-could-get-benefits/15333/">बोकारो

: जागरूकता के अभाव में खर्च नहीं हो पाये 1.70 करोड़, मात्र 40 लाभुकों को ही मिल पाया लाभ
Follow us on WhatsApp