Ranchi: पैगंबर इस्लाम हजरत मोहम्मद (स.) के दामाद हजरत अली के जन्म दिवस के अवसर पर मस्जिद जाफरिया में जश्न-ए-मौलूद-ए-काबा का आयोजन किया गया. तेरह रजब को पूरी दुनिया के मुसलमान हजरत अली की याद में मिलाद मनाते हैं. मौलाना सैयद तहजीबुल हसन रिजवी सोमवार को मस्जिद जाफरिया में आयोजित जश्न-ए-मौलूद-ए-काबा के कार्यक्रम में अपना संदेश दे रहे थे. मौलाना ने कहा कि हजरत अली की पैदाइश तेरह रजब सन 30 उम्मुल फील को मक्के की पाक सरजमीन, अल्लाह के घर, खान-ए-काबा में हुई.
हजरत अली ने अपनी मां के साथ खान-ए-काबा के अंदर तीन दिन तक रहने के बाद भी आंखें नहीं खोलीं. तीसरे दिन जब पैगंबर इस्लाम हजरत मोहम्मद (स.) ने अपनी चाची फातिमा बिनत असद के हाथों से उन्हें गोद में लिया, तो हजरत अली ने आंखें खोलकर पैगंबर मोहम्मद (स.) के चेहरे की जियारत की और आसमानी किताबों की तिलावत की. हजरत अली उस बहादुर का नाम है, जिस पर इस्लाम को गर्व है. अली की मोहब्बत इमान को ताकत देती है, जबकि अली से नफरत इंसान को जलील और रुस्वा कर देती है. हम सभी को मिलकर 13 रजब को अपने ईमान की दलील पेश करनी चाहिए. अली की पैदाइश का जश्न बुजदिल नहीं मनाते, बहादुर मनाते हैं.
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सराहनीय कार्य करने वाले हुए सम्मानित किया गया
खाना-ए-काबा की जियारत करना, उसे देखना इबादत है. और उसी खाना-ए-काबा में अल्लाह ने हजरत अली को उतार कर दुनिया को यह संदेश दिया कि काबे की अजमत, अली की मोहब्बत के बिना नहीं समझी जा सकती. इस मौके पर शोरा-ए-कराम ने कसीदा-खानी पेश की. संचालन सैयद निहाल हुसैन सरियावी ने किया. आयोजन अंजुमन जाफरिया की ओर से किया गया.
अंजुमन जाफरिया की ओर से सराहनीय कार्य करने वालों को जश्न-ए-मौलूद-ए-काबा अवॉर्ड से नवाजा गया. जिनमें डॉ. शमीम हैदर, डॉ. मुबारक अब्बास, सैयद फराज अब्बास, नदीम रजा, फराज अहमद और नदीम रिजवी शामिल हैं. इस अवसर पर अशरफ हुसैन रिजवी, इकबाल हुसैन, संजर हुसैन, यावर हुसैन, सैयद फराज अब्बास, शाहरुख हसन रिजवी, मास्टर उस्मान, आता इमाम, मेहंदी इमाम, हाशिम अली, इकबाल फातमी और अली हसन फातमी भी मौजूद थे.
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