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घूस लेते धराए जेई को प्रोन्नत कर बनाया सहायक अभियंता, सौंपा 12.90 करोड़ के काम का जिम्मा

ऊर्जा विभाग जेल जा चुके हैं अजय कुमार सिंह, कोर्ट में लंबित है केस 15 जुलाई को होनेवाली अगली सुनवाई में कोर्ट में हाजिर होना है वेतन डेढ़ लाख, फिर भी 20 हजार घूस लेते रंगेहाथ पकड़े गए थे Kaushal Anand Ranchi: झारखंड के ऊर्जा विभाग में अभियंता है अजय कुमार सिंह. घूस लेने के आरोपी हैं. पहले जूनियर इंजीनियर (जेई) हुआ करते थे. वेतन लगभग डेढ़ लाख रुपये है. अब उन्हें प्रोन्नत कर सहायक अभियंता बना दिया गया है. उन्हें एसीबी की टीम ने रांची में पदस्थापित रहने के दौरान एक ठेकेदार से 20 हजार रुपए घूस लेते रंगेहाथों गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार हुए, तो एसीबी ने जेल भेज दिया. बाद में बेल पर रिहा हुए. अबतक आरोप मुक्त नहीं हुए हैं. उनका केस कोर्ट में चल रहा है. 15 जुलाई को अगली सुनवाई होनी है, जिसमें उन्हें कोर्ट में हाजिर होना है. लेकिन विभाग ने उन्हें निलंबन मुक्त कर दिया है. बात यहीं नहीं रुकी. विभागीय अफसरों की मेहरबानी हुई और इन्हें जेई से सहायक विद्युत अभियंता पद पर पुराने वेतनमान (लगभग 1.50 लाख) में प्रोन्नत कर दिया गया. प्रोन्नत करने के बाद उन्हें अवर कार्य प्रमंडल, दुमका में पदस्थापित कर दिया गया. इतना ही नहीं, उन्हें अब श्रावणी मेला सहित दुमका प्रमंडल में विभिन्न कार्यों का जिम्मा भी दे दिया गया, जो करोड़ों में है. अजय सिंह को श्रावणी मेले का 6.50 करोड़, दुमका के मलूटी मंदिर के रेनेवोशन और दुमका के निर्माणाधीन आयुर्वेदिक कॉलेज में विद्युतीकरण का लगभग 12.90 करोड़ का काम दे दिया गया है.

गिरफ्तारी के बाद तीन महीने जेल में रहे

विद्युत कार्य प्रमंडल धनबाद के तहत अवर प्रमंडल कार्यालय में अजय कुमार सिंह (कोटि अनुसूचित जनजाति) में जूनियर विद्युत इंजीनियर पद पर कार्यरत थे. इस दौरान वे विद्युत कार्य प्रमंडल रांची में सहायक विद्युत अभियंता के प्रभार में भी थे. उस समय निगरानी विभाग की टीम (एसीबी) द्वारा उन्हें रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद तीन महीने जेल में रहे. बेल पर बाहर आए. मामला अभी कोर्ट में चल रहा है. वे लगातार सुनवाई में शामिल भी हो रहे हैं. 15 जुलाई को अगली सुनवाई होनी है.

क्या कहता है सरकारी नियम

रिश्वत लेने या अन्य आरोप लगने पर प्राथमिकी दर्ज होने पर सरकारी अधिकारी या कर्मचारी जब तक सक्षम न्यायालय से आरोप मुक्त नहीं हो जाते हैं, तब तक न तो उन्हें निलंबन मुक्त किया जा सकता है और न हीं कोई अहम जिम्मेवारी दी सकती है. इसके बाद भी अजय सिंह निलंबत मुक्त करना, फिर वरीय पद पर पदस्थापित कर करोड़ों के सरकारी काम की जिम्मेवारी देना नियम विरुद्ध है.

प्रोन्नति के लिए जिम्मेवार कौन

ननगजेटड अफसर की प्रोन्नति के लिए स्थापना कमेटी के अध्यक्ष मुख्य अभियंता होते हैं. नन गजेटेड स्थापना समिति के मेंबर भी मुख्य अभिंयता ही होते हैं. गजेटेड अफसर के लिए अध्यक्ष विभागीय सचिव होते हैं. इसलिए इनके निलंबन मुक्त होने, सहायक विद्युत अभियंता के पद पर पोस्टिंग और 12 करोड़ से अधिक के काम का जिम्मा देने के लिए ये प्रत्यक्ष व परोक्ष तौर पर जिम्मेवार हैं. इनकी जानकारी के बिना पदस्थापन या निलंबन मुक्त किया जाना संभव नहीं है.

प्रोन्नति के बारे में कुछ नहीं कह सकता : मुख्य अभियंता

ऊर्जा विभाग के चीफ इंजीनियर विजय कुमार सिन्हा का कहना है कि अभियंता अजय कुमार सिंह पर अब भी केस चल रहा है, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. यह देखने का काम उपर के अफसरों का है. वे केवल ननगजेटेड अफसर की स्थापना कमेटी के मेंबर हैं. उनकी पोस्टिंग गजेटेड अफसर (सहायक विद्युत अभियंता) के पद पर हुई है. इसलिए वे इस बारे में अधिक कुछ नहीं कह सकते हैं. [wpse_comments_template]

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