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झारखंड : ADG जैप ने थानों में मुंशी पद पर प्रतिनियुक्त महिला आरक्षियों को विरमित करने पर लगाई रोक

Ranchi :  ​झारखंड में विभिन्न बटालियन जैप, आईआरबी और एसआईआरबी से राज्य के थानों में मुंशी का कार्य करने के लिए प्रतिनियुक्त महिला आरक्षियों के संबंध में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया गया है. यह आदेश एडीजी जैप ने जैप, आईआरबी और एसआईआरबी के कमांडेंट को जारी किया है. जारी आदेश में सख्त निर्देश दिया गया है कि थानों में मुंशी का कार्य के लिए प्रतिनियुक्त महिला आरक्षियों को तत्काल प्रभाव से विरमित या समादेशित (कमांड) नहीं किया जाएगा.

 

महिला आरक्षियों के पदस्थापन को लेकर विवाद 

झारखंड पुलिस मुख्यालय द्वारा राज्य के विभिन्न थानों में मुंशी के पद पर आईआरबी, जैप और एसआईआरबी के जवानों के पदस्थापन को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है. जैप की एडीजी प्रिया दुबे ने इसको लेकर आपत्ति जताई है. उन्होंने ना सिर्फ पुलिस मुख्यालय के आदेश को नियमों के खिलाफ बताया है, बल्कि यह भी कहा है कि इस आदेश का पालन नहीं किया जा सकता है.

 

थानों में मुंशी के पद पर जवानों का पदस्थापन नियमों के खिलाफ

प्रिया दुबे ने इस संबंध में डीआईजी (कार्मिक) को बीते 29 सितंबर को पत्र लिखा था. इस पत्र में कहा गया है कि थानों में मुंशी के पद पर आईआरबी, जैप और एसआईआरबी के जवानों का पदस्थापन नियमों के खिलाफ है, क्योंकि पुलिसकर्मियों के तबादले के लिए बनी कमेटी ने इस बारे में कोई नहीं निर्णय लिया है और ना ही एडीजी जैप ने उस पर सहमति दी है. इसके बावजूद मुख्यालय ने मुंशी के पदस्थापन से संबंधित आदेश जारी कर दिया. वैसे भी थानों में मुंशी का पदस्थापन जिलों के एसपी के स्तर पर किये जाने का प्रावधान है. 

 

थानों में मुंशी के पद पर की गई थी 212 पुलिस कर्मियों की पोस्टिंग 

उल्लेखनीय है कि पुलिस मुख्यालय ने 25 सितंबर को एक आदेश जारी कर आईआरबी, एसआईआरबी व जैप के 212 पुलिसकर्मियों की पोस्टिंग विभिन्न जिलों के थानों में मुंशी के पद पर किया है. इससे पहले भी 23 जुलाई व तीन जुलाई 2025 को सीआईडी डीजी के स्तर से 89 महिला पुलिसकर्मियों की पोस्टिंग महिला थाना में की गयी थी.

 

इन पदस्थापनों के बारे में पुलिस मुख्यालय ने एडीजी जैप को कोई जानकारी नहीं दी है. एडीजी जैप ने डीआईजी कार्मिक को लिखे पत्र में कहा है कि डीजीपी कार्यालय ने स्वयं के निर्देशों का उल्लंघन किया है और कनीय कार्यालयों व पदाधिकारियों से उनके आदेश के अनुपालन की अपेक्षा किया जाना अनुचित है.




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