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झारखंड विस चुनाव :  दल बदलने से किसी नेता की खुली किस्मत, कुछ रह गये खाली हाथ

 Ranchi :  झारखंड की राजनीति में दल बदल की परंपरा पुरानी रही है. चुनाव के ऐन वक्त पर दल बदलने वालों में कुछ की किस्मत भी चमक जाती है तो कुछ के हाथ खाली रह जाते हैं. आजसू के कद्दावर नेता उमाकांत रजक ने टिकट कटने के बाद झामुमो के सिंबल पर चुनाव लड़ा और नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी को पटखनी दी. सिल्ली से अमित महतो ने ऐन वक्त पर झामुमो का दामन थाम कर आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो को करारी शिकस्त दी. इसी तरह छत्तरपुर से राधाकृष्ण किशोर ने राजद छोड़ कांग्रेस का दामन थामा. वे कांग्रेस के टिकट पर विजयी रहे. आजसू के रौशन लाल चौधरी ने उम्मीदवारों की घोषणा से चंद घंटे पहले भाजपा का दामन थामा, वे बड़कागांव सीट से विजयी रहे. भाजपा की लुईस मरांडी ने भी झामुमो का दामन थाम चुनाव में जीत हासिल की. झामुमो से भाजपा में आये चंपाई सोरेन ने भी जीत हासिल की.

 ये दल बदलू हो गये साइड लाइन

10 से अधिक दलबदलुओं को जनता ने बाहर का रास्ता दिखा दिया. भाजपा से झामुमो से गये केदार हाजरा को शिकस्त खानी पड़ी. झामुमो से भाजपा में गये बाबूलाल सोरेन, भाजपा से झामुमो में गये गणेश महली भी साइडलाइन हो गये. इसी तरह आजसू से बसपा के सिंबल पर चुनाव लड़ने वाले शिवपूजन मेहता, कांग्रेस से भाजपा में गयी गीता कोड़ा, झामुमो से भाजपा में गयी सीता सोरेन को भी हार का सामना करना पड़ा. चुनाव के ठीक पहले भाजपा का दामन थामने वाले लोबिन हेंब्रम को भी जनता से बाहर का रास्ता दिखा दिया. भाजपा से कांग्रेस में गये लाल सूरज, कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए सन्नी टोप्पो और एनसीपी से भाजपा में शामिल हुए कमलेश सिंह को भी हार का सामना करना पड़ा.  

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