Search

Jharkhand Congress: 20 सूत्री,बोर्ड-निगम और निगरानी बंटवारे पर फॉर्मूला बनाने का दावा खोखला

Ranchi: झारखंड कांग्रेस के विधायक और कार्यकर्ताओं की नाराजगी बीच-बीच में सामने आती रही है. नाराजगी का कारण विधायकों की महत्वाकांक्षा और कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करना बताया जाता है. प्रदेश कांग्रेस के नेता भी इस नाराजगी को बढ़ाने में मुख्य भूमिका अदा कर रहे हैं. दरअसल विधानसभा चुनाव बाद सत्ता का सुख भोगने की उम्मीद में कांग्रेसी कार्यकर्ता बीस सूत्री, निगरानी और बोर्ड-निगम में खुद को एडजस्ट करने की कोशिश में हैं. प्रदेश से लेकर दिल्ली तक वे फरियाद लगा रहे हैं. लेकिन उनकी मांगों को नजरअंदाज ही किया जा रहा है. पहले जनवरी फिर जुलाई माह में बंटवारे को लेकर फॉर्मूला तय करने की बात की गयी, लेकिन दोनों ही बार दावा खोखला साबित हुआ.

आरपीएन सिंह का दावा भी खोखला

जनवरी माह में ही झारखंड दौरे पर रांची आये प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह ने प्रदेश नेतृत्व को इसे लेकर निर्देश दिया था. उन्होंने सहयोगी दलों के साथ बातचीत कर बंटवारे के फॉर्मूला तय करने की बात तय करने पर निर्देश दिया था. लेकिन जनवरी का यह दावा खोखला साबित हुआ. फिर बीते शनिवार को भी विधायक दल के नेता आलमगीर आलम के आवास में एक बैठक हुई. बैठक में तय हुआ कि अगले तीन दिनों यानी 72 घंटों में बंटवारे का फॉर्मूला तय हो जाएगा. मंगलवार को यह बैठक होनी थी पर यह बैठक आज भी नहीं हो पायी. ऐसे में प्रदेश कांग्रेस का बीस सूत्री और निगरानी बांटने के फॉर्मूला का दावा फिर खोखला साबित हुआ है. इसे भी पढ़ें- केके">https://lagatar.in/kk-son-st-sc-pooja-singhal-industries-and-amitabh-kaushal-became-the-secretary-of-tourism-art-culture-sports-department/123407/">केके

सोन एसटी-एससी, पूजा सिंघल उद्योग और अमिताभ कौशल पर्यटन, कला-संस्कृति, खेलकूद विभाग के बने सचिव

कार्यकर्ताओं में नाराजगी

दोनों ही बार दावा खोखला साबित होने के बाद से कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में नाराजगी बनती जा रही है. प्रदेश मुख्यालय के एक नेता का कहना है कि बीस सूत्री और बोर्ड-निगम बंटवारे पर कांग्रेसी नेताओं को पहले मुख्यमंत्री या जेएमएम नेताओं के साथ बैठकर बातचीत करनी चाहिए. लेकिन इससे उलट कांग्रेसी नेता खुद ही बैठ कर निर्णय लेना चाहते हैं. वे जानते हैं कि अभी बंटवारे में कई तरह की अड़चने आ सकती हैं. ऐसे में यह ज्यादा अच्छा होता कि पार्टी नेता खुद से ज्यादा सहयोगी दलों के साथ बैठकर कोई ठोस निर्णय लें. [wpse_comments_template]  

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp