Advertisement

झारखंड सरकार 2012 से जैविक खेती पर कार्य कर रही है - शिल्पी नेहा तिर्की

Ranchi : रांची में BUYER & SELLER MEET 2025 के मौके पर आम और जैविक उत्पाद की प्रदर्शनी लगाई गई थी. इस प्रदर्शनी में मालदा से लेकर आम्रपाली तक स्टॉल में मौजूद थे. स्टॉल पर रसीले आम की खरीददारी के लिए लोगों का तांता लगा रहा. वहीं दूसरी तरफ जैविक उत्पाद के स्टॉल ने भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया.  इस कार्यक्रम में 12 उप परियोजना निदेशकों को चयन पत्र दिया गया.

ऑर्गैनिक फार्मिंग अथॉरिटी ऑफ झारखंड (OFAJ) की ओर से शनिवार को चाणक्य बीएनआर, रांची में खरीदार-विक्रेता मिलन समारोह का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में झारखंड के विभिन्न जिलों से आए जैविक किसानों और देश के विभिन्न हिस्सों से आए व्यापारियों ने भाग लिया.

 

 

इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य था, झारखंड में जैविक खेती को बढ़ावा देना और जैविक उत्पादों को बाजार से जोड़ना.

 

विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में शिल्पी नेहा तिर्की, कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव अबूबक्कर सिद्दीकी उपस्थित रहे.

 

अन्य विशिष्ट अतिथियों में शामिल थे

    गौतम सिंह (सीजीएम, नाबार्ड)

    विकास कुमार (सीईओ, OFAJ)

    रहाव ठाकुर (डीन, रामकृष्ण मिशन)

    सेलवम डेनियल (एमडी, Ecologie Forte)

    सुधा रेड्डी (कृषि विशेषज्ञ)

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और अतिथियों को प्रकृति खेती पर आधारित पुस्तक भेंट कर की गई. स्वागत भाषण OFAJ के सीईओ विकास कुमार ने दिया.

 

सीईओ विकास कुमार ने कहा

झारखंड के किसान कमजोर नहीं हैं, और न ही उनके उत्पादन में कोई कमी है. हम 22 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 78 लाख मीट्रिक टन उत्पादन तक पहुंच चुके हैं. भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा जैविक उत्पादक देश बन चुका है. इस मंच का उद्देश्य खरीदारों और विक्रेताओं को एक साथ लाकर परस्पर समझदारी से व्यापार के रास्ते खोलना है.

 

विदेश व्यापार की संभावनाएं: सेलवम डेनियल

झारखंड में दूरदर्शी नेतृत्व है जिसने कृषि क्षेत्र में बेहतरीन कार्य किए हैं. यह कार्यक्रम न केवल देश के, बल्कि विदेशी खरीदारों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनेगा. खासकर अफ्रीकी देशों में झारखंड के चावल की बड़ी मांग है. केन्या और तंजानिया जैसे देशों में निर्यात की संभावना है.

 

सचिव अबूबक्कर सिद्दीकी का संदेश

 

यह पहली बार है, जब इस तरह का आयोजन हो रहा है. जैविक खेती अब आमजन की समझ में आने लगी है. गांवों में स्थानीय संसाधनों के माध्यम से लोग जैविक खेती अपना रहे हैं. यह न केवल पर्यावरण की दृष्टि से आवश्यक है, बल्कि यह सतत विकास की दिशा में भी एक सशक्त कदम है.

 

 

शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा

 

हम जैविक खेती के अभी प्रारंभिक चरण में हैं. झारखंड सरकार 2012 से इस दिशा में कार्य कर रही है, लेकिन अभी तक व्यापक पहल की आवश्यकता है. हमारी ज़मीन उपजाऊ है और संभावनाओं से भरपूर है. खरीफ के बाद रबी फसलों की खेती को बढ़ावा देना होगा.

 

सरकार और खरीदारों को किसानों की क्षमता को पहचानना होगा. हम MEA – Mobilisation, Enabler, Aggregator के रूप में काम करेंगे.

 

सिक्किम जैसे राज्यों में किसानों को प्रशिक्षण दिलाना ज़रूरी है, ताकि उनका दृष्टिकोण और ज्ञान दोनों विकसित हो सके.

 

हर जिले में 500 मीट्रिक टन क्षमता वाले कोल्ड स्टोरेज का निर्माण कार्य प्रगति पर है, साथ ही किसानों को स्मॉल प्रोसेसिंग यूनिट्स भी उपलब्ध कराई जाएंगी.

 

जैविक बागवानी के लिए झारखंड की जलवायु अनुकूल है. हम IIHR के साथ मिलकर जैविक बीज उत्पादन के लिए MoU पर कार्य कर रहे हैं. आने वाले वर्षों में झारखंड को जैविक कृषि के क्षेत्र में अग्रणी बनाना हमारा लक्ष्य है.

 

कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें आयोजकों ने सभी अतिथियों, किसानों, व्यापारियों और प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया.